सुंदर सा चित्र
आज मित्रता दिवस पर
सुनिए मेरी फरियाद,
इतना आप जो कर सके
दूंगा बहुत मैं दाद।
नहीं मित्र कोई मेरा
न मैं किसी का मित्र,
मित्र बनाकर आप ही
खींच लीजिए चित्र।
बिगड़ेगा कुछ भी नहीं
आप मानिए मित्र,
वरना पहले आप ही
हो जाइए अमित्र।
सावधान हो जाइए
वरना दे दूँगा शाप,
अच्छा होगा कीजिए
मित्र बनाकर पाप।
हो जाएगा आपके
जीवन का कल्याण,
वरना अटका रहेगा
गले आपका प्राण।
दोनों का होगा भला
जब होंगे हम मित्र,
ताना देगा न कोई
नहीं कहेगा अमित्र।
तब मेरा भी बनेगा
सुंदर सा एक चित्र,
साथ रहेगा जब मेरे
आपके जैसा मित्र।