कविता

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन का आया पर्व सुंदर सुहाना,
भाई बहनों का हंसना खिल खिलाना,
बहन रक्षा सूत्र बांध करती ईश से प्रार्थना,
सलामत रखना मेरे भाई को करती मैं अराधना ।

नज़र उतारूं मैं दूर हो जाए सारी बलाएं,
सुख समृद्धि बरसे अपार मेरी शुभकामनाएं
भाई भी देता बहना को प्यार का अनुपम उपहार,
बहना तेरी चहक से महकता मेरा सारा संसार ।

खट्टा मीठा है ये नेह प्रीत का अटूट बंधन,
मौज मस्ती बचपन की प्रेम खिले संग अंतरमन,
तेरे रेशम के धागे का बहना मान सदा रखूंगा,
वचन है मेरा आखिरी सांस तक इसे निभाऊंगा ।

पावन संस्कृति हमारी है यह अनुपम और अनुठी,
पूजनीय है हर रिश्ता स्नेह लड़ियों में सुंदर गूंथीं,
अपनी साहित्य संस्कृति संस्कारों पर हमें गर्व है,
“आनंद” यहां जीवन का हर त्यौहार एक उत्सव है ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु