रुबाई
लाख अरमान सौंप कर दिल को।
उजड़ी बस्ती बसा गया कोई।
अपने जुनूं का डाल कर पर्दा,
ऐब मेरे छुपा गया कोई।
नूर आंखों का ले गया सारा,
जब से आंखें दिखा गया कोई।
एक बालम से दोस्ती करके ,
लाख दुश्मन बना गया कोई।
— बलविंदर बालम
लाख अरमान सौंप कर दिल को।
उजड़ी बस्ती बसा गया कोई।
अपने जुनूं का डाल कर पर्दा,
ऐब मेरे छुपा गया कोई।
नूर आंखों का ले गया सारा,
जब से आंखें दिखा गया कोई।
एक बालम से दोस्ती करके ,
लाख दुश्मन बना गया कोई।
— बलविंदर बालम