गीत/नवगीत

गीत

कदम कदम पर धोके देने वाले बहुत मिलेंगे
मत बढ़ ज्यादा आगे वरना अपने बहुत जलेंगे

पहले यत्न करेंगे तुमसे आगे वो हो जाएं,,,
पूरा जोर लगा देंगे की आगे ही दिखलाएं,,,
यत्न विफल होने पर कुण्ठित मन से बहुत छलेंगे
मत बढ़ ज्यादा आगे वरना अपने बहुत जलेंगे

माना तुम निर्दोष हृदय से अपनी प्रगति करोगे,,,
सत्य मार्ग पर निश्छलता से अपने कदम रखोगे,,,
फिर भी पग पग शूल बिछाकर ये व्यवधान करेंगे
मत बढ़ ज्यादा आगे वरना अपने बहुत जलेंगे

लाख प्रयत्न करोगे लेकर साथ साथ चलने का ,,,
व्यर्थ यत्न है एक दूसरे का सम्बल बनने का ,,,
छल प्रपंच का जाल बिछा ये मिथ्या स्वांग रचेंगे
मत बढ़ ज्यादा आगे वरना अपने बहुत जलेंगे

— समीर द्विवेदी नितान्त

समीर द्विवेदी नितान्त

कन्नौज, उत्तर प्रदेश