नंदलाला बाल गोपाला
घर – घर बाजें मधुर शहनाई
जन्में नटखट कृष्ण कन्हाई।
जन – मन में छाया हर्षोल्लास
नगर-नगर बांटी मिश्री मिठाई।।
सजी-धजी मोहक मथुरा नगरी
आएं बाल गोपाल कृष्ण मुरारी।
जीवन भर वह सुख को पाते
जो इनको शीश नवाते नर-नारी ।।
ठुमक-ठुमक चलें कृष्ण कन्हैया
रुनझुन – रुनझुन बाजें करधनी ।
बजी पायलिया ता – ता थैया
नाचते छम – छम कृष्ण मुरारी ।।
हंसते – हंसते दिखाएं लीला
पीला-नीला रंग लगे निराला।
चुपके – चुपके खाय माखन
सबके मन को बाएं गोपाला ।।
पल -पल रुप लगे मतवाला
तन-मन हो जाएं खुशहाला ।
घर – घर पालने में झूलेंगे
आज सबके प्रिय नंदलाला।।
— गोपाल कौशल भोजवाल