चेतन जग उजियार
रिमझिम पानी बरसता, झरती पावन धार।
शीतल जल, निर्मल नदी, हरियाला संसार।।
जीवन दात्री सृष्टि से, सीखो परोपकार।
वरदान मिला प्रभु से, जीवन का उपहार।।
मीठे फल-फूल तरु दे, देते शीतल छाँव।
हरियाली चहुँ ओर हो, मनभावन हो ठाँव। ।
रिमझिम बरखा छलकती, भर भर खूब सुकून।
हलधर हृदय पुलक झरे, बाजे मधुरिम धून।।
चहुँ दिशि सुख आनंद से, खुशहाली झंकार।
परमात्मा के नेह से, चेतन जग उजियार।।
शुकराना प्रभु का करे, विहसत आवे भोर।
जीवन कर्म निभाइये, थामे स्नेहिल डोर।।