कविता

कविता – ये तो इश्क है।

इस हुनर को क्या लिखूं,
कुछ अफसाने ज़रूर पढ़ें हैं हमने,
मुश्किल वक्त में,
आसपास रहकर भी,
नज़र अन्दाज़ किया गया है,
यह देखा गया है,
नज़रों में मदद मिलेगी,
यही बताया गया है।

इस नायाब तोहफा में,
उम्मीद है,
सुकून से लबालब हरेक रंग है,
मन को तसल्ली देती है,
नहीं होता बदरंग है।
मोहब्बत नामा बने रहने की,
सबसे बेहतर इल्म है।
उम्मीदों पर खरा उतरने में,
इस खुशबू को मिलता दम है।

ये तो इश्क है,
घबराहट नहीं होता है,
चन्द रसूखदारों को,
यहां बस हबस का नाम दिखता है।
खुशियां उमंग और उल्लास से भरपूर है,
इसमें बरक्कत है,
उम्मीद व शुरूर है।

नया इतिहास रचने वाले,
इसके लिए मर-मिटने के लिए तैयार रहते हैं,
खत्म हो जाए ज़िन्दगी,
इसकी नहीं परवाह करते हैं।
सपनों में हकीकत ढूंढते हैं,
रब से दुआ करते हैं।

सपनों का समन्दर है,
आपसी प्रेम और उत्साह से भरपूर होने वाला,
एक खूबसूरत श्रृंगार है,
हम कह सकते कलंदर है।
नजदिकियां बढ़ाने में मदद करता है,
यही जिंदगी की आगाज़ है,
इसके लिए मर-मिटने पर,
हमेशा आगे बढ़ने का जज्बा रखता है।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]