कविता

अवैज्ञानिक सोच और विश्व

किसी भी झूठी अफवाहों पर
हम आंख मूंद नतमस्तक हो जाते हैं,
आस्था के भंवर में खो जाते हैं,
नहीं सोचते कि किसी भी बात का
वैज्ञानिक आधार क्या है,
हम पाखंडों पर कितना भरोसा
अभी भी कर रहे हैं
ये सब जांचने का फंडा नया है,
जब भी कोई गपोड़ झांसेबाज
कोई बेसिरपैर की बातें
चटकारे लेकर सुनाते हैं,
हम दोगुने उत्साह के साथ ताली बजाते हैं,
सारा विश्व हमें देख सुन रहा और
हम पर हंस रहा हम भूल जाते हैं,
किसी सड़ी गली बातों को
प्राचीन संस्कृति से जोड़कर बताना
हमारी मानसिक खालीपन को दर्शाता है,
इसमें कहीं पर वैज्ञानिकता नजर नहीं आता है,
विज्ञान में तर्कों का बड़ा ही महत्व होता है,
इसमें छुपा हमेशा सत्य होता है,
कुछ लोगों के मनमुताबिक चलना
सम्पूर्ण देश का अपमान होगा,
दुनिया में नहीं हमारा नाम होगा,
विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरे
ऐसा माहौल बनाना होगा,
वतन की उन्नति खातिर
वैश्विक विज्ञानवादी राहों पर
हमें भी जाना होगा।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554