कविता

कविता

दरवाजे पर कौन है?
मैं हूँ अपरिचित !
आपका यहाँ क्या काम?
अच्छा! मैं आगंतुक!
आइये,
स्वागत है|
भीतर आ जाइये
आचमन कीजिये
बैठिये,
जलपान कीजिये
कहिये!
प्रयोजन बताइये
प्रयोजन? प्रयोजन,
याचना है, प्रार्थना है
आगंतुक!
निः संदेह कहिये
कश्मीरी आँखो में
क्या छुपाया है?
जयपुरी कपोलों पर
क्या उभर आया है?
हृ.. हृ….हृदय की
अभिलाषा है
आगंतुक!
निश्चिंत रहिये
आप हृदय में ही
पधारे है!

— निशा अविरल

निशा 'अविरल'

जन्म स्थान:- पानतलाई हरदा ( मध्य प्रदेश) जन्म वर्ष :- 13/10/1993 शिक्षा:- MA HINDI वर्तमान कार्य :- फ्रीलांस कंटेंट writer प्रकाशित कृतियाँ :- फनकार नवोदय के ( सांझा काव्य संग्रह) संपर्क सूत्र :9131230020 E-mail: [email protected]