बाल कविता

स्कूल की घंटी

चलो  चलें  स्कूल
घंटी हमें बुलाती है
खुल गया है स्कूल
हमें भान कराती है।

देर करो न, दूर भागो
तुमको कुछ बताती है
वक्त है, यह अनमोल
आभाष यह कराती है।

घंटी से ज्ञान का नाता
घंटी ही ज्ञान कराती है
यही भविष्य, गढ़ती है
यही कर्तव्य सिखाती है।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578