लघुकथा – वेतन वृद्धी
शिक्षकों की हडताल आज 21वें दिन में प्रवेश कर गई थी। मगर शासन झुकने को जरा भी तैयार नहीं था। पिछले पाँच सालों से चल रहे पुराने वेतनमान में बढती महँगाई के मारे शिक्षक गण इसमेँ 20% की वृद्धि चाहते थे और शासन 7 % ही बढाने की घोषणा कर चुका था और अडिग था अपने निर्णय पर।
मजबुरीवश शिक्षकों ने भूख हडताल का सहारा लिया। शिक्षा मंत्री ने सी एम को संतुष्ट कर रखा था कि आप चिन्ता ना करें मैने अपने आदमी लगा रखे हैं शीघ्र ही युनियन में फूट पडने वाली है और ये हडताल टाँय टाँय फिस्स हो जायेगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। कल से पाँच कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठ रहे थे। सचिवालय के सामने मैदान में लगे पंडाल में सुबह सात बजे से पाँचो शिक्षक नेताओं का आमरण अनशन शुरु हो चुका था। और शाम होते होते अनशनकारियों की उर्जा और शक्ति कमजोर होने लगी थी लेकिन इनके उत्साह में कोई कमी नहीं थी। इधर विधान सभा का तूफानी सत्र जारी था। सत्र के आखरी चार दिन ही बचे थे और बहुत से विधेयक प्रस्तुत होना बाकी थे। और खास बात ये कि इन शेष रहे बिलों में विधायकों का वेतन संशोधन बिल भी शेष था। पिछले एक माह से बनी विधायक वेतन वृद्धि कमेटी जिसके प्रमुख खुद शिक्षामंत्री सुखराम ही थे, रात दिन एक करके विधायकों के वेतन संशोधन का मसौदा तैयार करने में लगे थे। ऐसे में ये साले मास्टर लोग, मंत्री जी के श्रीमुख से गाली निकली,, पहले तो नौकरी दो, नौकरी दो की धूम मचाई, नोकरी दे दी तो अब वेतन बढाओ का हल्ला मचा रहे हैं। ये सत्र खतम हो जाये फिर निपटता हूँ इनसे।
आमरण अनशन का दुसरा दिन गुजरा,तीसरा दिन गुजरा और चौथा दिन आ गया। अनशनकारियों की हालत गंभीर हो चुकी थी डाक्टरों ने चेतावनी दे दी थी कि अब हालात काबू से बाहर जा सकते हैं। सी एम चिन्तित हुए, क्या करना शिक्षा मँत्री और अन्य साथी मँत्रियो ने समझाया आज सत्र का आखरी दिन है शाम तक सब काम निपट जायेगा शाम को ही शिक्षक नेताओं से मिलकर 10 % वृद्धी की घोषणा कर देंगें स्थिती यह थी कि सत्र के आखरी चार पांच घंटे और 14-15 विधेयक। बडी गहमागहमी मची विधान सभा में कुछ बिल पास हुए, कुछ अगले सत्र के लिये बाकि रख लिये लेकिन विधायकों के वेतन संशोधन का बिल महज पांच मिनिट से भी कम समय में ध्वनीमत से पास हो गया. इस बिल के अनुसार अब विधायकों का वेतन 45000 से बढकर 80000 हो चुका था चिकित्सा भत्ता 5000 से बढाकर सीधे 10000 कीया जा चुका था ऐसे ही अन्य सभी भत्तों में 90% की व़द्धी कर दी गइ थी। विधानसभा भवन से सी एम की गाडी सीधे अनशनकारियों से चर्चा करने और उन्हे ये खुशखबरी देने चली जा रही थी कि उनकी वेतनवृद्धी 10% कर दी गई हे, ठीक उसी समय शासकिय अस्पताल की वेन पाँच अनशनकारियों मेँ से तीन को मरणासन्न स्थिति में पाकर तेजी से अस्पताल की ओर रवाना हो चुकी थी।
— महेश शर्मा