काव्य सृजन
उम्दा लोग हैं पढ़ने वाले करवाते हैं काव्य सृजन
ऐसे ही बेहतर लोगों का कलम है करती अभिनंदन
65 वर्ष हो गए हैं मुझको लिखते अपने मन की बात
और ह्रदय के अंगनारे में सुधियां नित करती नर्तन
स्नेहिल लोगों का साथ मिलाअंतस में उतर रही कविता
घनघोर तिमिर का अंत हुआ नभ मंडल में छाये सविता
हिम शिखरों से कल कल निनाद जागृत पहले से राष्ट्रवाद
भारत मां का आशीष मिला बह निकली अंतस से सरिता
बड़े भाग्य हैं गीत युगपुरुष नीरज जी का साथ मिला
और स्वयं श्री अटल बिहारी जी का सर पर हाथ मिला
मोदी जी का पत्र मिला है जिससे उल्लासित यह मन
मगर सफर में चलते-चलते साथ नहीं देता है तन
यदि दिया समय ने समय हमें अगला भी संकलन आएगा
देखेंगे भारत को पूरा यदि समय हमें दिखलाएगा
जानता भविष्य ना कोई भी दुनिया तो मुसाफिर खाना है
छिति जल पावक गगन समीरा कौन किसे समझाएगा
— डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव