कविता

कविता

कलयुग में सांप हो गये बेरोजगार,
उसकी जगह विकृत मानसिकता के मानव को मिला रोजगार
कुत्ते भी चाटने के कामों से हो गये हो गये वंचित,
क्योंकि मानव ने तलवे चाटने का काम अपने क्षेत्र में कर लिया संचित
किसी के पास चांदी के चमचे हैं,
तो दूसरी ओर चमचों की चांदी है
छोटी छोटी बातों को दिल पे न लो भाई,
इससे बडे़ बडे़ रिश्ते हो जाते हैं कमजोर,
प्रेम, मौहब्बत के बंधन में बंध कर रहो
इस बंधन का जीवन में नहीं है कोई तोड़
तेरे पीठ पीछे तेरी बात चले तो मत घबराना,
क्योंकि बात उनकी ही चलती है जिसमें होती है कोई बात,
तथाकथित दोहरे चरित्र वालो की
समय के साथ निश्चित होती है मात
वैसे भी निंदा उसकी ही होती है जो हैं जिंदा,
मरने के बाद तो तारीफों की खुलती है पुलिंदा

— मृदुल शरण