कविता

नहीं भूलते यादों के वह ख़ज़ाने

रहते हैं संग मेरे वो यादों के खजानें
याद आते हैं वो अपने जो अब हो गए बेगाने
नहीं भूलते यादों में रहते हैं हरदम
मिले हुए उनसे हमें हो गए ज़माने

कभी न बिछुड़ने की खाई थी कसमें
झूठे सब निकले उनके वह तराने
बहुत ढूंढा उन्हें अब नज़र नहीं आते
बदल लिए हैं उन्होंने अब अपने ठिकाने

खुशबू का इक झोंका था जो पास से निकल गया
आये थे जो ज़िन्दगी की बगिया महकाने
मिले एक दिन तो मुंह फेर कर यूँ चल दिये
जैसे हमें जानते नहीं हम हों अनजाने

हम आज तक गा रहे हैं उन्हीं के तराने
जानते हैं हम जा चुके हैं वो किसी और का घर बसाने
आज भी अक्सर आ जाते हैं कि इसलोगों की ज़ुबान पर
हमारे और उनके प्यार के अफसाने

छुप छुप कर मिलते थे कभी
ढूंढते थे मिलने के बहाने
वो वादियां और फिजायें करती हैं याद अभी भी
जहां गाये थे कभी प्यार के मिल कर तराने

दिल मत दो यह हुस्नवाले नहीं होते किसी के
सच ही कहते हैं यह लोग पुराने
मोहब्बत का महल तोड़ कर चल देते हैं
उम्र छोटी पड़ जाती है जिसको बनाने

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र