भजन/भावगीत

विनायक स्तुति (छंद – “मुक्तामणि”)

गजानना “आनंद” कर, रिद्धि सिद्धि के दाता ।
वंदन है प्रिय आपको, मंगल करण विधाता ।।
शिव जी भोले है पिता, जगदंबे है माता ।
भगिनी अशोक सुंदरी , कार्तिकेय है भ्राता ।।

विघ्नहर्ता गणेश ये, सब कष्टों को मिटाते ।
रिद्धि सिद्धि के नाथ जो , जग में पूजे जाते ।
एकदंत,गजकर्ण ये, इनको मोदक भाते ।
उमा पुत्र को प्रेम से, बूंदी भोग लगाते ।।

चतुर्भुज पट पीत धर, पाशांकुश कर सोहे ।
चढ़ता सिंदूर गणपति,भालचंद्र मन मोहे ।।
मूषक सवारी जिनकी, नाथ गजमुख भजो रे ।
गं गणपति का सरलतम, बीज मंत्र जपो रे ।।

मूलाधार निवास है, शक्ति संचरित ऊर्जा ।
रक्तवर्ण अति पुष्प प्रिय, शमी पत्रक व दुर्वा ।।
आमोद – प्रमोद भर दो, लंबोदर सुखकर्ता ।
हे करूणानिधि देवता, पाप कर्म दुखहर्ता ।।

प्रथम पूजते आपको, सांसारिक जग प्राणी ।।
नारद शारद व ऋषि मुनि, नर नारी सब ज्ञानी ।।
संपत्ति, ऐश्वर्य,यश, धन, सौभाग्य सुख दानी ।
वेद,पुराण,यश जपते, महिमा अमित बखानी ।।

मेरे इष्ट देव तुम औ , एक तुम्हारी दासी ।
शुभ व लाभ वरदान दो, जगपालक मैं प्यासी ।
विघ्नों को मेरे हरो, तुम प्रभु हो कृपामयी ।
मधुरता प्रवाहित करो , दयालु अंतर्यामी ।।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु