कुण्डली/छंद

सिहरी छंद 

तारणहारे गणेशजी 

पधारो हर द्वार चौखट,

महके मुस्कुराहट

 

गणेश उत्सव 

गूंजे निरर्थक फिल्गी गीत

कर्कश संगीत

पथरीली नगरी,

उबड़ खाबड़ गड्ढों भरी

संभलना गणेशा

कूड़ा-करकट, गंदगी,

मिलेगी नहीं सौहार्द, सादगी,

मन प्रदूषित

 

उत्सव, पर्व,

स्नेह मिलन गंगा बहती,

उल्लसित धरती

 

नीलाभ गगन

चाँद दीवाना छितराता चांदनी

आएगी सजनी 

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८