धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

गणेश चतुर्थी : भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण त्योहार।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ,
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा,
यह मंत्र भगवान गणेश की महानता और शक्ति का प्रतीक है। गणेश जी की कृपा से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर, हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं। यह त्योहार हमें नई शुरुआत और सकारात्मक परिवर्तन की ओर प्रेरित करता है।
गणेश चतुर्थी भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश की पूजा और उत्सव के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है।
भगवान गणेश हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिन्हें ज्ञान, बुद्धि और सुख के देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, जो किसी भी कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करते हैं।गणेश चतुर्थी का महत्व यह है कि यह त्योहार हमें नई शुरुआत और सकारात्मक परिवर्तन की ओर प्रेरित करता है। यह त्योहार हमें अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की कामना करने के लिए प्रेरित करता है।
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि– गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के फूल और पत्तियों से सजाते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन, लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाते हैं। पूजा के दौरान, गणेश जी को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज.

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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