कविता – ज्ञान
यह बोध अनुभव या कहें प्रकाश है,
सबमें खुशियां बांटती है,
इसके अलावा अन्य नहीं कोई प्रयास है।
यह अवलोकन अध्यन और जांच का,
खूबसूरत बगीया है।
जन-जन तक पहुंचाने वाले लोगों को,
इन्सानियत सिखाती है,
इस परिकल्पना को जमीनी शक्ल देने वाली ताकत बनकर आज़ सबमें उत्साह भर देती है,
कहलाता है,
बग़ीचे की खुशबू है,
सब लोग अक्सर कहते हैं,
सुन्दर बगिया की परिकल्पना को साकार करने वाली,
अत्यंत सुंदर कलियां है।
सारा सच है तो,
दुनिया जागृत हो रहा है।
तकलीफ़ खत्म करने में,
मदद पहुंचाता दिख रहा है।
ज्ञान की धरती पर,
सारा सच एक उम्दा प्रयास है।
सब कहते हैं,
यही जिंदगी की सबसे बड़ी इबादत है,
सब लोग इस खेल से,
पाते सुखद अहसास है।
ज्ञान दर्पण में उम्मीद है,
इसके लिए मर-मिटने की जरूरत है।
यही कारण है कि,
सब मानते हैं इसकी यह ताकत,
आज इसलिए बढ़ रही अहमियत है।
समन्दर पार करते हुए,
ज्ञान की मिट्टी से निकली हुई आवाज काम आता है,
खूबसूरत बगीया में,
अनेकों बार जनमानस को,
खुशियां उमंग और उत्साह से भरपूर करने में,
इस ताकत से निकली हुई आवाज,
एक उन्नत ज़मीन देकर,
सबको अपनत्व का,
संकल्प लेने का हुनर बताते हुए,
सही सोच और व्यवहारिक रूप में स्वीकार्य,
अन्दाज़ में,
आगे बढ़ाकर शिखर पर पहुंचाता है।
यही जिंदगी की,
सही तस्वीर है।
उमंग और उत्साह से भरपूर,
संसार की सबसे बड़ी जागीर है।
— डॉ. अशोक, पटना