ग़ज़ल
आ गए चट्टान-धारा देखने के वास्ते
आबशारों का नज़ारा देखने के वास्ते
कम पड़ेगा एक पूरी ज़िंदगी का वक़्त भी
देस का सौंदर्य सारा देखने के वास्ते
छाप छोड़ी हुस्न ने पहली नज़र में इस क़दर
जा रहे उसको दुबारा देखने के वास्ते
अब अचानक नींद हमको आ गई तो क्या करें
देर तक जागे सितारा देखने के वास्ते
दूर तक सुनसान वन में कौन हो सकता भला
थम गए किसने पुकारा देखने के वास्ते
जन्म शायद इसलिए हमने लिया संसार में
एक प्रेमी का गुज़ारा देखने के वास्ते
प्यार जो तुमसे किया है इसलिए क्या इसलिए
हर घड़ी परदा तुम्हारा देखने के वास्ते
— केशव शरण