गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

वक़्त था वो जब मचलते हम रहे क्या शमा रौशन कि जलते हम रहे दिल हमारा एकदम-से चाँद तक बल्लियों ऊपर उछलते हम रहे रास्ता क्या अब दिशा ही बंद है रोज़ जिस जानिब निकलते हम रहे जीत लेने के लिए दिल यार का हारकर हिकमत बदलते हम रहे ख़ून पीकर भी हमारा ख़ुश नहीं […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

बनी या बनेगी न इसकी ख़बर भी दवा चाहिए दर्द की कारगर भी मुझे तुम घुमाओ कहीं वादियों में दिखाई पड़ें हम, न आयें नज़र भी न मेरी तरह तुम भरोगे तृषा से न मेरी तरह तुम करोगे सबर भी ग़ज़ब हुस्न है तू अजब इश्क़ हूँ मैं न तेरी गुज़र भी न मेरी गुज़र […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

रंग, ख़ुश्बू, अदा न मिलती है हुस्न तेरी हवा न मिलती है ख़ूब दीवानगी हमारी थी अब कहीं भी ज़रा न मिलती है घर रहो तो उदास तन्हाई घूमने से थकान मिलती है एक दिल की तलाश करता हूँ हर तरह की दुकान मिलती है उम्र गुज़री फ़क़त हमारी क्यों चाह दिल की जवान मिलती […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

इक रोज़ कहीं गुज़र न जाऊँ मैं प्यार बग़ैर मर न जाऊँ बस एक निगाह पुरमुहब्बत फिर देख अगर सँवर न जाऊँ तू याद मुझे सदा रहेगा मैं यार तुझे बिसर न जाऊँ वो भी कि ज़बान ही चलाते मैं भी कि निबाह पर न जाऊँ आराम हराम हो गया है बेचैन बवाल कर न […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कहाँ जायें किधर को किस गली में रहा जाता नहीं है बेकली में जहाँ मतभेद इतने और रगड़े मज़ा आये कहाँ से मंडली में सु-सपनों के ज़हाज़ों का ज़ख़ीरा पड़ा दिल के समुन्दर की तली में ज़माने की हवा अँड़सी प्रदूषित हमारी साँस की सँकरी नली में रही संभावना जो गुल खिले की गयी मुरझा […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मिली न मंज़िल रहे न सहचर घुमा-घुमाकर नसीब लाया कहाँ-कहाँ से भटक-भटककर यहाँ तुम्हारे क़रीब आया मधुर-मधुर जल मधुर-मधुर फल मिले तुम्हारी उदारता से सटीक औषधि नवीन कपड़े कृतज्ञ कितनी ग़रीब काया अगर यही था भला गुज़ारे बरस-बरस क्यों निरे अकेले सदृश्य संबंध ये हमारा अदृश्य की है अजीब माया — केशव शरण

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

एक बिन्दु आर का एक बिन्दु पार का चाहते मिलन मगर रेख-पथ न प्यार का प्यार का निबाह भी है मिज़ाज पर टिका ठीक चल नहीं रहा हाल रोज़गार का प्यार अब न वो रहा यार अब न वो रहा क्या अजब कि एक ही दर्द यार-यार का धर्म, जाति, क्षेत्र भी एक गोत्र, शब्द […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

समय ने सिलसिला तोड़ा हमारा परिंदों की तरह जोड़ा हमारा बड़ा बाज़ार है पर आदमी हम नहीं है मूल्य क्या थोड़ा हमारा पगों से नापते धरती बुढ़ाये रखा है काठ का घोड़ा हमारा भरोसे रहबरों के था रसातल हमीं ने रास्ता मोड़ा हमारा हमें हमसे बचाने आ न दुश्मन हमारा जिस्म है कोड़ा हमारा अलग […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तू अकेले कि काफ़िले में चल मत ठहर बीच रास्ते में, चल आज का दिन उदास बीता है आज की शाम मयकदे में चल ये सही साथ-साथ चलते हम दो तटों के न फ़ासले में चल थामता और फिर झटकता हाथ प्यार के एक सिलसिले में चल प्यार की दिल-दुकान बंद न हो क्या ज़रूरी […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

और बाक़ी मिठाइयाँ छोड़ूँ मैं भला क्यों जलेबियाँ छोड़ूँ हुस्न नमकीन को न छोड़ सकूँ रक्त-गति की दवाइयाँ छोड़ूँ जब तलक बाम पर रहे चन्दा तब तलक मैं न खिड़कियाँ छोड़ूँ इस क़दर मैं नहीं मियां बुद्धू हाथ आयीं कलाइयाँ छोड़ूँ इश्क़ छोड़ूँ यही नहीं होगा ये भले हो लड़ाइयाँ छोड़ूँ मैं दुखी हूँ उदास […]