जय जय श्री राधे
आपके बिना, श्याम लागे आधे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
श्री वृषभानु जी, की राज दुलारी
सर्व दुःखों से, वह तारणहारी
दर्शन कर, भक्तों के, भाग्य जागे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे ।।
बरसाने में, आपने, जन्म लियो है
बृज में, बधाइयां, बाज रहयों हैं
हर्षित हो, मन, नाचन लागे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
वृन्दावन में, धूम मची है
श्री राधा, अष्टमी की, शुभ घड़ी है
किशोरी जू की, छबि न्यारी लागे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
श्री कीरति, जी की, लाड़ली राधे
पूर्ण करत, सबकी अरदासें
श्याम सुन्दर, जी के, संग बिराजें
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
सखियों के संग, हैं करत ठिठोली
बरसाने वाली, अति भोली भोली
कान्हा तिहारो, पीछे-पीछे भागे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
श्री राधा, नाम में, अपार शक्ति है
राधे -राधे , रटन से ,भव मुक्ति है
रसिकन को नाम, अति प्रिय लागे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
इतनी अरज, मोरी, भी सुन लो
अपनी शरण में, मुझको भी लै लो
चरणों में तेरे, मोरा मन लागे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे ।।
शेष जीवन, तेरी, भक्ति में बीते
श्री राधा, नाम रस, पीते पीते
अंत समय न, कोई डर लागे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
आपके बिना, श्याम लागे आधे
जय-जय, जय-जय, श्री राधे।।
सभी भक्त जनों को श्री राधा अष्टमी की अनेकानेक बधाईयां एवं शुभकामनाएं।
जय जय श्री राधे।।
— नवल अग्रवाल