भाषा-साहित्य

भक्ति और श्रृंगार रस के कवि,”रसखान”

रसखान (१६०० ई – १६७० ई) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे,    रसखान कवि का पूरा नाम सैयद इब्राहिम खान था। उन्हें रसखान के नाम से जाना जाता था, जो उनका तखल्लुस (कवि नाम) था। “रसखान”,,,,,,एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे जिन्होंने भक्ति और श्रृंगार रस की कविताएँ लिखीं। उनका जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था और उन्होंने अपना जीवन भगवान कृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया था।

जिन्होंने भक्ति और श्रृंगार रस की कविताएँ लिखीं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के ब्रज में हुआ था और उन्होंने अपना जीवन भगवान कृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया था।

रसखान की कविताएँ प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता के विषयों पर केंद्रित हैं। उनकी कविताओं में भगवान कृष्ण के प्रति उनकी गहरी भक्ति और प्रेम का प्रदर्शन होता है। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में “प्रेम वाटिका” और “सुजान रासो” शामिल हैं।

रसखान की कविताओं में भाव अभिव्यक्ति की एक विशेष शैली है, जिसमें उन्होंने अपने भावनाओं को बहुत ही सुंदरता से व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता के भावों का सुंदर मिश्रण है।

रसखान का समय मुगल बादशाह शाहजहाँ का समय था, जब हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों का मेल हो रहा था। इस समय में हिंदी साहित्य में भक्ति और सूफी कविताओं का प्रभाव बढ़ रहा था।रसखान का परिवेश ब्रज की पवित्र भूमि थी, जहाँ भगवान कृष्ण की लीलाएँ हुई थीं। उनकी कविताओं में ब्रज की सुंदरता और भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है।

रसखान की प्रसिद्धि उनकी कविताओं के कारण हुई, जो भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती हैं। उनकी कविताएँ आज भी हिंदी साहित्य में बहुत प्रसिद्ध हैं और लोगों द्वारा पढ़ी और गाई जाती हैं।

रसखान कवि की रचनाएं और गीत आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों द्वारा बहुत पसंद किए जाते हैं। उनकी कविताओं में प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता के भावों का सुंदर मिश्रण होता है, जो आज भी लोगों को आकर्षित करता है।

रसखान की कविताएं न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे आज भी लोगों के जीवन में प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। उनकी कविताओं में व्यक्त भावनाएं और विचार आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को प्रेम, करुणा और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करते हैं।

इसके अलावा, रसखान की कविताएं भक्ति और सूफी संगीत में भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, और आज भी कई कलाकार उनकी कविताओं को गाते और सुनते हैं।

रसखान की लेखनी पर कुछ चर्चाएं:

रसखान की कविताओं में भक्ति और श्रृंगार रस का सुंदर मिश्रण होता है, जो उनकी लेखनी की विशेषता है।रसखान की कविताओं में प्रेम और भक्ति की गहराई होती है, जो पाठकों को आकर्षित करती है।रसखान ने अपनी कविताओं में ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया है, जो उनकी लेखनी को और भी सुंदर बनाता है।

रसखान की कविताओं में भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है, जो पाठकों को भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षित करता है।

कुछ प्रसिद्ध रचनाएं:

1. *प्रेम वाटिका*: यह रसखान की सबसे प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उन्होंने प्रेम और भक्ति की गहराई को व्यक्त किया है।

2. *सुजान रासो*: यह रसखान की एक अन्य प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उन्होंने भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया है।

3. *अष्टयाम*: यह रसखान की एक रचना है, जिसमें उन्होंने भगवान कृष्ण की आठ पत्नियों की कहानी को व्यक्त किया है।

4. *दोहावली*: यह रसखान की एक रचना है, जिसमें उन्होंने दोहे के रूप में भगवान कृष्ण की भक्ति को व्यक्त किया है।

रसखान कवि की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं की कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

1. “प्रेम वाटिका” से:

“प्रेम गली अति साँकरी, ताहि बिना नाहिं कोइ जाने”

“प्रेम गली में जो आवे, ताहि से प्रेम न होइ बाने”

2. “सुजान रासो” से:

“सुजान रासो में रसखान कहे, सुनि लो भावतो कोइ”

“प्रेम पियाला पिलावत, सखी मेरी साँसों को होइ”

3. “अष्टयाम” से:

“अष्टयाम में श्याम की लीला, रसखान कहे सुनि लो”

“राधा की चुनरिया में श्याम, रसखान कहे सुनि लो”

4. “दोहावली” से:

“श्याम की लीला में रसखान, दोहे कहे सुनि लो”

“प्रेम की बात में रसखान, दोहे कहे सुनि लो”

इन पंक्तियों में रसखान कवि की भक्ति और प्रेम की भावनाएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

पिता का नाम: अशफ़ाक़ अहमद शाह जन्मतिथि: 24 जून जन्मस्थान: ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा, मध्य प्रदेश कर्मभूमि: हरदा, मध्य प्रदेश स्थायी पता: मगरधा, जिला हरदा, पिन 461335 संपर्क: मोबाइल: 9993901625 ईमेल: dr.m.a.shaholo2@gmail.com शैक्षिक योग्यता एवं व्यवसाय शिक्षा,B.N.Y.S.बैचलर ऑफ़ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस. बी.कॉम, एम.कॉम बी.एड. फार्मासिस्ट आयुर्वेद रत्न, सी.सी.एच. व्यवसाय: फार्मासिस्ट, भाषाई दक्षता एवं रुचियाँ भाषाएँ, हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी रुचियाँ, गीत, ग़ज़ल एवं सामयिक लेखन अध्ययन एवं ज्ञानार्जन साहित्यिक परिवेश में रहना वालिद (पिता) से प्रेरित होकर ग़ज़ल लेखन पूर्व पद एवं सामाजिक योगदान, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल, मगरधा पूर्व प्रधान पाठक, उर्दू माध्यमिक शाला, बलड़ी ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी कम्युनिटी हेल्थ वर्कर, मगरधा साहित्यिक यात्रा लेखन का अनुभव: 30 वर्षों से निरंतर लेखन प्रकाशित रचनाएँ: 2000+ कविताएँ, ग़ज़लें, सामयिक लेख प्रकाशन, निरन्तर, द ग्राम टू डे, दी वूमंस एक्सप्रेस, एजुकेशनल समाचार पत्र (पटना), संस्कार धनी (जबलपुर),जबलपुर दर्पण, सुबह प्रकाश , दैनिक दोपहर,संस्कार न्यूज,नई रोशनी समाचार पत्र,परिवहन विशेष,समाचार पत्र, घटती घटना समाचार पत्र,कोल फील्ड मिरर (पश्चिम बंगाल), अनोख तीर (हरदा), दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद, नगर कथा साप्ताहिक (इटारसी) दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार, दैनिक जागरण, मंथन (बुरहानपुर), कोरकू देशम (टिमरनी) में स्थायी कॉलम अन्य कई पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित प्रकाशित पुस्तकें एवं साझा संग्रह साझा संग्रह (प्रमुख), मधुमालती, कोविड, काव्य ज्योति, जहाँ न पहुँचे रवि, दोहा ज्योति, गुलसितां, 21वीं सदी के 11 कवि, काव्य दर्पण, जहाँ न पहुँचे कवि (रवीना प्रकाशन) उर्विल, स्वर्णाभ, अमल तास, गुलमोहर, मेरी क़लम से, मेरी अनुभूति, मेरी अभिव्यक्ति, बेटियां, कोहिनूर, कविता बोलती है, हिंदी हैं हम, क़लम का कमाल, शब्द मेरे, तिरंगा ऊंचा रहे हमारा (मधुशाला प्रकाशन) अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा, तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी (जील इन फिक्स पब्लिकेशन) व्यक्तिगत ग़ज़ल संग्रह: तुम भुलाये क्यों नहीं जाते तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें तेरा इंतज़ार आज भी है (नवीनतम) पाँच नए ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन सम्मान एवं पुरस्कार साहित्यिक योगदान के लिए अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त पाठकों का स्नेह, साहित्यिक मंचों से मान्यता मुश्ताक़ अहमद शाह जी का साहित्यिक और सामाजिक योगदान न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे हिंदी-उर्दू साहित्य जगत के लिए गर्व का विषय है। आपकी लेखनी ने समाज को संवेदनशीलता, प्रेम और मानवीय मूल्यों से जोड़ा है। आपके द्वारा रचित ग़ज़लें और कविताएँ आज भी पाठकों के मन को छूती हैं और साहित्य को नई दिशा देती हैं।