राजनीति

क्यों जरुरी हैं वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव

आजकल देश में वक्फ बोर्ड के नाम का बड़ा शोर मचा हुआ है तो आईए जानते हैं आखिर क्या है वक्फ बोर्ड? इस्लाम के मतानुसार वक्फ का अर्थ है दान, वक्फ बोर्ड एक ऐसी गैर सरकारी संस्था है जो मुसलमान द्वारा या अन्य लोगों द्वारा दिए गए दान का हिसाब किताब रखता है और भूमि मकान प्रॉपर्टी इत्यादि पर अधिकार करता है। 

वक्फ बोर्ड सन 1954 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा बनाई गई, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व राजीव गांधी ने वक्फ बोर्ड के कानून में कुछ परिवर्तन किया, परंतु सबसे बड़ा परिवर्तन सन 1995 में नरसिम्हा राव सरकार ने किया, जब वक्फ बोर्ड को एक स्वतंत्र बॉडी बनाकर स्थापित कर दिया गया। यह वक्फ बोर्ड इतना ताकतवर बन गया कि बिना किसी सूचना के, बिना किसी प्रमाण के, बिना किसी वाद विवाद के यदि वक्फ किसी प्रॉपर्टी पर अपना अधिकार जताता है, तब उस क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों को मजबूरन उसे भूमि या प्रॉपर्टी को खाली करवा कर वक्फ बोर्ड को देना पड़ता था। इसकी सूचना में कोई वारंट फरियादी को जारी नहीं होता था, इसकी सूचना किसी ऐसे समाचार पत्र में दे दी जाती थी, जिस समाचार पत्र की सीमित प्रकाशन होती थी अर्थात वह लोगों तक पहुंचता भी नहीं था या फिर वह कोई उर्दू अखबार होता था जिसे सामान्य लोग नहीं पढ़ पाते थे। इसके कारण बिना जाने ही जमीन या मकान पर वक्फ का कब्ज़ा हो जाता था। फिर एक या दो वर्ष बाद जब अपनी भूमि या मकान बेचने के लिए वह व्यक्ति पंचायत या रजिस्टरार के पास जाता था, तब उन्हें मालूम पड़ता था कि आपकी भूमि वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में है, आप इसे नहीं भेज सकते हैं और तब फरियादी के पास कोई भी विकल्प नहीं होता था क्योंकि 30 दिन की अवधि न्याय मांगने के लिए कब की समाप्त हो चुकी होती थी और उसकी भूमि पर वक्फ बोर्ड का अवैध कब्जा हो गया था, जिसे प्रशासन भी आंख बंद करके स्वीकार कर लेता था। 

अब नए कानून में इस समय अवधि को बढ़ाकर असीमित किया गया है ताकि जब भी कोई फरियादी अपनी भूमि या मकान बेचना चाहे और उसे पता ना हो कि वक्फ बोर्ड ने गैर कानूनी रूप से उसकी जमीन या मकान पर कब्जा कर लिया है, तब वह एक दो या पांच वर्ष बाद भी अपने रजिस्ट्री, अपने प्रमाण लेकर उच्च न्यायालय में वाद दायर करके न्याय ले सकता है। 

पहले के कानून में वक्फ दान करने का नियंत्रण केवल पुरुष के पास था अर्थात कोई भूमि वक्फ बोर्ड को देने के लिए केवल पुरुष की अनुमति ही महत्वपूर्ण होती थी परंतु इस नए कानून में उसकी पत्नी अर्थात महिला को भी यह अधिकार मिला है कि उसकी अनुमति के बिना कोई भी भूमि या मकान वक्फ बोर्ड को दान नहीं किया जा सकता। इससे महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया है जो की सामान्य प्रक्रिया में संविधान के मतानुसार हिंदू व अन्य धर्म की महिलाओं को पहले से प्राप्त है इसलिए भी वक्फ बोर्ड का यह पुराना कानून महिलाओं के प्रति गैर जिम्मेदार व उनके अधिकारों को छीनने वाला था, जिसे अब समाप्त किया जाना चाहिए। 

इसी प्रकार पहले के कानून में यदि वक्फ बोर्ड किसी भूमि मकान पहाड़ या गांव को अपना बता देता था, तब वहां के तहसीलदार एसडीएम कलेक्टर को वह गांव मजबूरन खाली कराना पड़ता था, गांव वालों के पास यह विकल्प भी नहीं था कि वह कहीं अपने लिए न्याय मांग सके, वे न्यायालय में भी वाद दायर नहीं कर सकते थे, उन्हें वक्फ बोर्ड के कार्यालय में ही वाद दायर करना पड़ता था, जिसका न्याय करने वाले भी वक्फ बोर्ड के ही 7 मुस्लिम अधिकारी थे। 

 पहले के कानून में  30 दिन की अवधि निकलने के पश्चात किसी की कोई सुनवाई नहीं होती थी। इस अंधे कानून का परिणाम यह हुआ कि आज भारत में वक्फ बोर्ड के पास करीब 10 लाख एकड़ भूमि है जो वक्फ बोर्ड के कब्जे में है, यह क्षेत्रफल विश्व के 50 देश से भी ज्यादा है इसलिए इस घटिया कानून को जितनी जल्दी समाप्त किया जाये देश के लिए उतना ही अच्छा होगा। परंतु पूर्व की सरकारों ने अपने वोट बैंक के लिए वक्फ बोर्ड के इस कानून पर ध्यान नहीं दिया जो अवैध कब्जा चल रहा था वह होने दिया।

 हम देश की जनता नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति बहुत-बहुत आभारी हैं जो इस काले कानून को समाप्त करके वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों को नियंत्रित किया है साथ ही लगातार 70 सालों से भारत की जनता पर हो रहे अत्याचारों को रोका है, अब जिन लोगों के भूमि मकान या खेतों की जमीन पर अवैध रूप से वक्फ बोर्ड ने कब्जा किया है वह भी न्याय की दृष्टि से न्यायालय में अपने वाद दायर कर सकेंगे। उन पीड़ितों को न्याय की एक नई आशा केंद्र सरकार ने एक रोशनी के रूप में दी है।

पूरा जीवन मेहनत व श्रम करके एक परिवार अपना मकान और जमीन बनाता है और यदि ऐसे काले कानून के माध्यम से कोई गैर सरकारी संस्था उस पर कब्जा कर लेती है तो यह देश के लोकतंत्र के लिए बहुत ही शर्मनाक है, इसलिए वक्फ बोर्ड के इस काले कानून को तुरंत ही समाप्त करना चाहिए बल्कि यदि सरकार और दृढ़ता से प्रयास करती है तो वक्फ बोर्ड को ही समाप्त करके वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में जितनी भूमि जितनी जमीन जितने मकान जितनी प्रॉपर्टी इस देश में है उसे देश के वंचित समाज, पीड़ित समाज, गरीब किसान आदि को वितरित करना चाहिए ताकि उनके जीवनशैली में सुधार हो, उन्हें न्याय मिल सके और भारत के लोकतंत्र में उनका विश्वास पुनः जागृत हो।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश

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