कविता

यथार्थ

घट चाहे माटी का हो, मोती से जड़ित या हो ,
मदिरा के पात्र से तो, दुर्गंध ही आयेगी।
कितनी प्रशंसा करो, मीठे शब्द वाणी भरो ,
छद्म छवि कभी यहाॅं, छुप नहीं पायेगी।

मन छल द्वेष गढ़े, पीठ पीछे दोष मढ़े,
प्रेम कड़ी एक दिन, टूट ही तो जायेगी।
करो मत बुरा कर्म, अपनाओ सत्य धर्म,
आत्मा को परमात्मा से, मिलन करायेगी।।

प्रतिदिन राम जप, नित ध्यान योग तप।
जीवन जटिल बाधा, त्वरित मिटायेगी।
उपजे आनंद सुख, हृदय से मिटे दुख,
त्याग भक्तिभाव से ही, मुक्ति मिल पाएगी।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]