रास्ता कोई न था
प्यार बस तुमको किया तुमसा दिखा कोई न था |
अक्स दिल में दिल तेरा बाकी मेरा कोई न था |
आदमी में आदमीयत का हुनर दिखता था जब,
जिंदगी आसान थी शिकवा गिला कोई न था |
बात दिल की हम कभी पहुँचा न पाए उस तलक,
अश्क़ आँखों से बहाता दूसरा कोई न था |
बस मिली रुसवाइयों की तंग गलियां प्यार में
हमसफर हमराज हमदम बागबाँ कोई न था |
स्याह रातों ने डराया जब ‘मृदुल’ दिल को मेरे
मुझ में तुम थे तुझ में हम तुमसा यहां कोई न था |
— मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’
गिरह
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चाहते हसरत समेटे आ गए उसे मोड़ पर |
मंजिलें थी सामने पर रास्ता कोई न था |