कविता

पहचान हमारी हिंदी

भारतवासियों की निराली पहचान है हिंदी,
राष्ट्र की आन, बान, शान, अभिमान हैं हिंदी,
जन-जन की सरस अभिव्यक्ति प्राण हैं हिंदी,
विश्व में परचम लहराए वो लय ताल है हिंदी ।

देशज प्रांतीय भाषाओं की बड़ी बहना है हिंदी,
संस्कृत की सबसे प्यारी दुलारी बिटिया हैं हिंदी,
बोलचाल की अपनी दिलेरी अमृत भाषा हैं हिंदी,
सरल, सहज, सुमधुर, सुंदरतम् परिभाषा है हिंदी ।

भाषा ही नहीं,भावों का अद्भुत संगम हैं हिंदी,
नवरसों से श्रृंगारित सुमधुर नियोजन है हिंदी,
संगीत के स्वरों की संजीवनी सरगम है हिंदी,
फूलों में महकता सुर्ख लाल गुलाब है हिंदी ।

स्वर, व्यंजनों की रमणीक वर्णमाला हैं हिंदी,
अक्षर-अक्षर मंत्र तरंगित ध्वनि तेज है हिंदी,
वेदों, पुराणों, उपनिषदों का भावार्थ हैं हिंदी,
साहित्यकारों की अद्वितीय ताकत हैं हिंदी ।

साहित्य विधाओं की रचनात्मकता है हिंदी,
अनुराग, अभिनंदन, अनंत “आनंद” हैं हिंदी,
सादगी, साधना, सौंदर्य, सौम्यता,सौभाग्य हैं हिंदी,
रोम-रोम में बसा विजय गान, ज्ञान, विज्ञान हैं हिंदी ।

स्वर्णिम चमकता अलौकिक तेजस है हिंदी,
आकर्षण का केंद्र बिंदु, कीर्ति, वैभव हैं हिंदी,
दूरियां मिटाएं वो सकारात्मक प्रभाव है हिंदी,
मुस्कराहट का राज, रास्ता अभिप्राय है हिंदी ।

हमारे संस्कार, संस्कृति, अनमोल विरासत हैं हिंदी,
अनुकरणीय, आदर्श आचरण, आशीर्वाद हैं हिंदी,
सुखद आज,आने वाला समृद्धशाली कल है हिंदी,
बोलबाला जिसका संसार में ऐसा साज है हिंदी ।

आत्मसम्मान की जयघोष शंखनाद गूंज हैं हिंदी,
हर दिल तक सीधे पहुंचे वो मीठी दस्तक हैं हिंदी,
तालियों की गड़गड़ाहट,हृदय की जगमगाहट है हिंदी,
आपसी भेद मिटाती प्रेम गंगा बहाए वो धारा है हिंदी ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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