बाल कविता

मां भारती का सपूत हूं मैं

मां, मैं छोटा-सा दीपक बनूंगा, 

अंधकार को रोशन कर दूंगा।।

आंधी-तूफान में जलता रहूंगा,

हौसले से उजियार भरुंगा।।

नील गगन में जैसे सूरज चंदा,

मैं चमकता ध्रुव तारा बनूंगा।।

मां भारती की करूंगा सेवा,

खूब मिठाई, खाऊंगा मेवा।।

खूब पढुंगा, राष्ट्र गौरव बनूंगा,

प्यार से सब संग हिलमिल रहूंगा।।

मित्रों संग पेड लगाऊंगा,

जल बचाऊंगा, स्वस्थ रहूंगा।।

मां भारती का सपूत हूं मैं,

देशसेवार्थ प्राण अर्पण करूंगा।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८