कविता

कविता – हिंदी की उपेक्षा क्यों

हिंदी है जन -जन की भाषा
हिंदी है सरल और मधुर भी
फिर हिंदी की उपेक्षा क्यों?
हिंदी साहित्य समृद्ध पुरातन
ज्ञान विज्ञान और आध्यात्म
दर्शन,इतिहास , प्रोद्योगिकी
सब है हिंदी भाषा में
फिर हिंदी की उपेक्षा क्यों?
हिंदी दिवस मनाते हैं सब
लाखों रूपये खर्च हो जाते
पर अधिकारी के बच्चे
अंग्रेजी स्कूल में हैं पढ़ते
हीन भावना क्यों है मन में
जब हम हिंदी में हैं बोलते
हिंदी है राज भाषा देश की
फिर हिंदी की उपेक्षा क्यों?
क्यों हम गलत हिंदी लिखते
अशुद्ध हिंदी क्यों हम बोलते
संस्कृत- सुता है अपनी हिंदी
अन्य भाषा की बहन है हिंदी
लिपि इसकी है आसान बड़ी
फिर हिंदी की उपेक्षा क्यों ?

— निर्मल कुमार दे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड [email protected]

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