कविता

हिंदी

बड़ी सरल है हिंदी भाषा।हम सबकी हिंदी अभिलाषा।।
हिंदी बिंदी चमक रही है।हिंदी भाषा दमक रही है।।
सीधी साधी बोली बानी।कहते सब हिंदी के ज्ञानी।।
बहु भाषा की जननी हिंदी।भेदभाव ना करती हिंदी।।
सबको मीठी लगती हिंदी।माथे की जैसे ये बिंदी।।
हिंदी विश्व पटल पर छाई।लगती मीठी जस पुरवाई।।
आओ इसका मान बढ़ायें।मस्तक इसके तिलक लगायें।।
हम सब मिल इसके गुण गाएं।नित विकास की कथा सुनाएं।।
राष्ट्र भाषा का स्थान दिलायें।चाहे करना जो पड़ जाये।।
तुलसी अरु कबीर की भाषा।गांधी बाबा की अभिलाषा।।
जन जन ने इसको है सींचा।पर मुट्ठी को कभी ना भींचा।।
आज घड़ी फिर से आयी है।हिंदी संदेशा लायी है।।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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