गीत/नवगीत

राधा तेरा नाम

आती जाती साँस पुकारे, राधा तेरा नाम
सुमिर-सुमिर तन आज हुआ है मेरा चारो धाम

मिश्री बनकर नाम तेरा, मुख में है घुल-घुल जाता
रोम-रोम में बनकर सरगम, काह्ना-काह्ना गाता
दुख भी बने सभी सुख, होकर तेरे गुलाम
आती जाती साँस पुकारे, राधा तेरा नाम।1।

रटते-रटते नाम तेरा, मुझको लगता है ऐसे
मैं ही जमुना के तट बैठा,किसन बावरा जैसे
लगन लगी तुझसे ऐसी कि मैं ही हूँ घनश्याम
आती जाती साँस पुकारे, राधा तेरा नाम।2।

राधे रानी याद तेरी, हर पीर मेरी हर लेती
तन को जमुना जल-सा,और पावन कर देती
इस पीड़ा में भी आ जाती है, अधरों पर मुस्कान
आती जाती साँस पुकारे, राधा तेरा नाम।3।

इतनी ही है अरज हमारी, बस ये वचन निभाना
जब तक चलती रहे ये साँसे, छोड़ हमें ना जाना
तुझे बसाकर हम कंठों में, पहुँचे तेरे धाम
तेरा नाम बसा कंठों में, पहुँचे तेरे धाम
आती जाती साँस पुकारे, राधा तेरा नाम।4।

बरसाने की माटी बन मैं, गलियों में बिछ जाऊँ
जहाँ धरे थे चरण तिहारे , उनको अधर लगाऊँ
राधे-राधे-राधे-राधे, रटूँ मैं आठों याम
आती जाती साँस पुकारे, राधा तेरा नाम।5।

— शरद सुनेरी