सामाजिक

बदलें नजरिया

आज के दौर में सोशल मिडिया (व्हाट्स एप्प, फेशबुक, इस्टाग्राम आदि) के चलते वैसे भी एक दूसरे से बात करने का समय किसी के पास है ही नहीं, फिर भी कोई व्यक्ति किसी से बात करना चाहे भी तो उसके पास करने को कोई ढंग की चर्चा नहीं होती। उस समय या तो वह किसी की बुराई करेगा अथवा व्यर्थ की बातों से अपना एवं दूसरों का समय खराब करेगा। क्योंकि अच्छी-अच्छी बातें, प्रेरणात्मक बातें, मार्मिक बातें एवं चिन्तनीय बातें करने का दौर शायद लुप्त सा होता जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति व्यर्थ की चर्चा (थ्हारी-म्हारी) करने में लगा हुआ दिखाई देता है।
हम अपने आस-पास भी यदि नजर दौड़ाएँ तो ऐसे कई लोग हैं जो व्यर्थ की बातें यानि फिजुल की बातें करते दिखाई देते हैं। ऐसी बातें करके शायद उन्हें ऐसा लगता होगा कि उनके द्वारा ऐसी चर्चा करना उन्हें बहुत ज्ञानवान अथवा बुद्धिमान बनाता है। लेकिन ऐसा होता नहीं।
यहाँ इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि जब भी हमारे द्वारा किसी दुसरे की अच्छी या बुरी बात किसी तीसरे के पास की जाती है तब हमें यह ज्ञात नहीं होता कि ठीक उसी समय किसी दूसरे स्थान पर हमारे बारे में भी चर्चा चल रही होती है जो शायद हमारे व्यक्तित्व के लिए अच्छी न हो। और-तो-और जिसके सामने हम फिजुल की बातें करते हैं तो उसका भी उन बातों से कोई लेना-देना नहीं होता, फिर भी हम करते हैं।
अक्सर यह देखा जाता है कि कहीं भी जब चार-पाँच महिलाएँ, पुरुष अथवा नौजवान एकत्रित होते हैं तो वे इस प्रकार की बातें करते नजर आते हैं, जिनका कोई औचित्य नहीं होता। यहाँ एक बात समझने की है कि फिजुल की बातों को करने से हमें क्या लाभ होगा? ऐसी बातें करने से हमारा नुकसान ही होगा। हमारा समय और श्रम दोनों खराब होगा।
किसी दूसरे व्यक्ति के व्यक्तित्व को, उसके गुणों को एवं उसके चरित्र को पूर्ण रूप से जाने बगैर उसके बारे में व्यर्थ की चर्चा करना क्या हमें शोभा देता है? उस परमपिता परमात्मा ने सब प्राणियों में इन्सान को ही एक चिन्तनषील दिमाग देकर इस धरती पर भेजा हैं और उस ईश्वरीय प्रदत्त उपहार का इस्तेमाल हम किसमें कर रहे हैं? यह चिन्तन का विषय है न कि व्यर्थ की चर्चा करने का। हमें हमारे नजरियें को बदलना होगा। ऐसे कई चिन्तन हैं जिनके बारे में चर्चा करने से ही हमारा जीवन सार्थक होगा। इसके लिए हमें अच्छी-अच्छी प्रेरणात्मक पुस्तकों के अध्ययन के साथ साधु-सन्तों के सान्निध्य में रहकर तथा उनके ज्ञानवर्धक प्रवचन श्रवण करके हमारे व्यक्तित्व को निखारना होगा।

— राजीव नेपालिया (माथुर)

राजीव नेपालिया

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