कविता

बेटियां

परियां ये स्वर्ग से आई,
झोलियां खुशियों की लाई,
प्यारी कुसुम सी कलियां,
आंखों का नूर है बेटियां ।

इनके चेहरे की मुस्कान,
हर लेती पीड़ा और थकान,
प्यारी लगती इनकी शैतानी,
मौज मस्ती संग थोड़ी नादानी ।

चालबाजियों से होता इनको बचाना,
सशक्त शक्ति सम्पन्न मजबूत बनाना,
तराशना भी होता है इनका जीवन,
संवारना होता है मासूम अल्हड़पन ।

मां-बाप की है ये जिम्मेदारी,
सखियां ये जीवन की बेहद प्यारी,
दूसरे घरों में संस्कार ले जाती,
जीवन में दोहरा फ़र्ज़ निभाती ।

जब आता है विदाई का वक्त,
कर ना सकते पल को अभिव्यक्त,
सरगम की मधुर “आनंद”ध्वनियां,
लाडली प्यारी रूपेरी सोन चिरिया ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु