‘क़लम आज उनकी जय बोल’- अंतस् की ६२ वीं संगोष्ठी ‘दिनकर’ को समर्पित
जिन कवियों ने हिंदी कविता को छायावाद की कुहेलिका से बाहर निकाल कर उसे प्रसन्न आलोक के देश में पहुँचाया, उसमें जीवन का तेज भरा और उसे सामयिक प्रश्नों से उलझना सिखाया, उनमें राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ का नाम बहुत ऊँचा है।
आधुनिक काल में हिंदी की राष्ट्रीय-कविता ने तीन मंज़िलें तय की हैं। उसकी पहली मंज़िल भारतेंदु हरिश्चंद्र में मिलती है जब उसने ब्रज के करील कुंजों को छोड़कर देश-दुर्दशा की ओर साश्रु निहारा था, उसकी दूसरी मंज़िल के पुरोधा मैथिली शरण गुप्त बने जब उसने वर्तमान की विवशता के साथ अतीत का गौरवपूर्ण स्मरण किया और अपनी तीसरी मंज़िल में वह ‘दिनकर’ की उंगली पड़कर आगे बढ़ी तथा अन्याय, अत्याचार राजनीतिक दासतां और आर्थिक शोषण के विरुद्ध उसने खुलकर शंखनाद किया। एक वाक्य में ‘दिनकर’ का नाम ‘युगधर्म’ की हुंकार और भूचाल बवंडर के ख़्वाबों से भरी हुई तरुणाई का है|
ऐसे महाकवि ‘दिनकर’ की 116 वीं जयंती के अवसर पर साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था ‘अंतस्’ तथा हिन्दी प्रचारिणी सभा ,अलीगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय काव्य-संगोष्ठी आयोजित हुई ऑनलाइन ज़ूम के माध्यम से २३ सितम्बर २०२४ की देर शाम ८ बजे से लगभग १० बजे तक|
अत्यंत सरस, रोचक, सारगर्भित व प्रसांगिक चर्चा तथा दिनकर जी की कविताओं के काव्य-पाठ से समृद्ध गोष्ठी की अध्यक्षता की राँची विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पांडे ने एवं मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया से मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं डॉ उषा श्रीवास्तव| गोष्ठी का संयोजन-सञ्चालन संयुक्त रूप से हिन्दी प्रचारिणी सभा, अलीगढ़ के अध्यक्ष डॉ दिनेश कुमार शर्मा और अंतस्’ की अध्यक्षा डॉ पूनम माटिया ने किया|
इनके अतिरिक्त बिरसा मुंडा कॉलेज बागडोगरा, जनपद दार्जिलिंग(पश्चिम बंगाल) की सहायक प्रोफेसर डॉ सरिता विश्वकर्मा, ऐसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, एच.डी कॉलेज, आरा, भोजपुर(बिहार) से डॉ पुष्पा द्विवेदी, अध्यक्ष हिंदी विभाग राम जयपाल महाविद्यालय, छपरा, बिहार से डॉ. नागेन्द्र कुमार शर्मा, दिल्ली से डॉ. निशि अरोड़ा, श्रीमती सुनीता राजीव और श्रीमती सुनीता अग्रवाल अथिति वक्ता/ कवि रूप में शामिल हुए|
सक्रिय सहृदय श्रोता-रूप में कई वरिष्ठ साहित्यकार, कवि-शायर एवं काव्य-रसिक जिसमें दिनकर साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान डॉ. नागेन्द्र नारायण; डॉ सुलोचना शर्मा, डॉ. नीलम वर्मा, डॉ कंचन कुमारी, डॉ मीरा कुमार प्रसाद, डॉ. मीरा कुमारी, डॉ जयप्रकाश गुप्त, सर्वश्री/सर्वश्रीमती रामकांत पूनम, एस डी सिंह, कविशा, दीपांशु शर्मा, रमाकांत द्विवेदी, कमल वार्ष्णेय, सौरभ कुमार, कँवल कोहली, एस एन शर्मा, डिंपल शर्मा, उषा शर्मा, लखिमा फुकन, अर्चना सिंह रायज़ादा, गुरुचरण सिंह, मोनिका पूरी सेठी, रविन्द्र प्रसाद, आनंद त्रिपाठी, सुनीता बंसल, लाल चंद वर्मा, इंदु बिश्नोई, अर्चना गुप्ता तथा अंतस् के संरक्षक नरेश माटिया ने आयोजन की सम्पूर्ण अवधि में वक्ताओं का उत्साहवर्धन करते हुए दिनकर की अविस्मरनीय रचनाओं का रसास्वादन किया|
बहुत मनभावन, समय की नब्ज़ को पकड़ने वाली, राष्ट्र कवि को समर्पित, अद्भुत संगोष्ठी का अंतस् द्वारा आयोजन सराहनीय एवं प्रशंसनीय रहा| सरस्वती वंदना मधुर स्वर में प्रस्तुत की श्रीमती सुनीता अग्रवाल ने| तदोपरांत सभी वक्ताओं और कवि-कवयित्रियों का परिचय दिया गया| कुछ स्वरचित रचनाएँ भी दिनकर जी को समर्पित कीं गयीं तथा दिनकर की कालजयी रचनाओं- रश्मिरथी(कृष्ण की चेतावनी), कुरुक्षेत्र, संस्कृति के चार अध्याय, उर्वशी, नील-कुसुम, चूहे की दिल्ली यात्रा, क़लम या कि तलवार, क़लम आज उनकी जय बोल, सूरज का ब्याह, चाँद का कुरता, मिर्च का मज़ा, धूप-छाँह इत्यादि रचनाओं से पंक्तियाँ उद्धृत कीं| रश्मिरथी से ‘कृष्ण की चेतावनी’ के अंशों का पाठ सुनीता अग्रवाल ने गायन शैली में किया तो सुनीता राजीव और निशि अरोड़ा ने जुगलबंदी स्वरुप में किया जो अद्भुत रहा| पूनम माटिया ने दिनकर के काव्य में ‘उर्वशी’ से प्रेम और सौन्दर्य तत्व संदर्भित रोचक अंश प्रस्तुत किये तो वहीँ दिनेश शर्मा ने ‘एनार्की’ कविता का पाठ करते हुए राजनैतिक स्थितियाँ उकेरीं| नागेन्द्र शर्मा ने मानवीय महिमा के सन्दर्भ में दिनकर को तुलसीदास के बाद स्थापित किया| अध्यक्षीय उद्बोधन में दिनकर के व्यक्तित्व और कृतित्व की विस्तार से चर्चा करते हुए जंग बहादुर पाण्डेय जी ने दिनकर को ‘आग और राग’ का कवि कहते हुए ‘रसवंती’ ‘अंतर्द्वद्व’ उर्वशी’ ‘कुरुक्षेत्र’ की कुछ पंक्तियाँ पढ़ीं| सन बासठ के भारत-चीन युद्ध के समय दिनकर की लेखनी में किये गए ‘हिमालय संबोधन’ को सबके समक्ष रखा|
अंत डॉ दिनेश शर्मा ने सभी अतिथि वक्तागण एवं श्रोताओं को विधिवत धन्यवाद ज्ञापित किया|
संभवता: रविवार उनत्तीस सितम्बर की सुबह 8.45 बजे साहित्यिक समाचारों में आकाशवाणी साहित्यिकी में संगोष्ठी के सन्दर्भ में प्रसारण होगा|