माँ के नुस्खे
मक्की खेत मे बोई गई।कुछ दिनों बाद भुट्टे लगे ।मक्की देशी थी भुट्टे भी थोड़े कड़क ही रहते है अमेरिकन भुट्टे बहुत नरम होते मीठे होते है किंतु कई घरों में उसे भजिये,किस आदि बंनाने में काम मे नही लिया जाता।सिर्फ उबाल कर खाने में अच्छे लगते है।मक्की सूखने लगी अब हरे भुट्टे नही मिल पाते।एक दिन माँ ने हरे भुट्टे खाने की इच्छा जाहिर की।चूंकि बाजार में भी नही मिले।आखिर एक कोयले की सिगड़ी पर भुट्टे सेक रहा था।दाने कड़क थे।भुट्टे घर लाकर माँ को दिए।माँ के दांत नही थे।मैने कहा कि माँ ,आपके दांत नही फिर कैसे खाओगे।माँ ने कहा बेटा जब अपने खेत से भुट्टे आते थे तो मक्की सूखने के कगार पर रहती तो भी भुट्टे का आखरी मौसम में स्वाद लेने के लिए।हम इसके सीके हुए दाने निकाल कर उसे किसी मटके में संग्रहित कर लेते थे।जब इच्छा होती तो उन दानों को निकाल कर उन्हें उबालकर फिर से उसमें मसाला मिलाकर खाते थे।बहुत ही स्वादिष्ट लगते थे और नरम भी हो जाते थे।इसी तरह आम के रस को सूखा कर पापड़ बना लेते,काचरी,बलोल,मेथीहरी मिर्च छाछ में डुबाकर सूखाई हुई आदि कई सब्जियों को सूखा कर उसका स्वाद अन्य मौसम में ले लेते थे। इसलिए तो माँ के नुस्खे प्रसिद्ध होते है
— संजय वर्मा”दृष्टि”