कविता

सारे फ़ाइल जला दो (व्यंग्य)

भ्रष्टाचारियों अपने चेहरे पर स्माइल लगा दो,
चुनाव आ रहा है झट से वो फ़ाइल जला दो,
खेलो नाचो डांडिया गरबा गाओ होली गान,
डूब जाओ आकंठ घूस में न रहे भावना भान,
रिश्वत ही है सब कुछ तुम्हारा न चाहे सम्मान,
इनकार करे पैसे देने से लेते हो भृकुटि तान,
दौलत अकूत करते इकट्ठा आये न कोई काम,
भरी सभा में कहे फिरते हो सकते हो बदनाम,
चाय समोसे मुफ्त का खाते करते हो परेशान,
कुंद रहती खुद की अकल व बांटते हो ज्ञान,
गुल गुलशन आप ही का नया मशाल जला दो,
रिश्वतखोरी की यह रोशनी चारों ओर फैला दो,
चुनाव आ रहा है झट से सारे फ़ाइल जला दो।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554