कविता

महके जीवन 

आओ,दीप जलाये ऐसे,

मन मंदिर जगमगाये,

हर द्वार बंदनवार सजे,

भूख प्यास तृप्त हो जाये।।

अंधियारी गलियां हो रोशन,

खिले नटखट मासूम,बचपन,

बे-छत, बे-घर न रहे कोई,

मुस्कुराये हर कली,महके जीवन।।

दीपमालाएं जगमग, जगमग,

रंग-रंगीली रंगोली मनहर,

रुमक-झुमक आवे खुशियां,

हो आनंद मंगल, जीवन सुन्दर।।

उमंग, उल्लास से मनाये त्यौहार 

पर्व, उत्सव हमारे संस्कार, संस्कृति,

मिले प्रेम, स्नेह, दुआएं, आशीर्वाद,

हो मानवता पूजन,परम प्रभु भक्ति।। 

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८