कविता – गलतफहमी
भरोसा है तो दोस्ती है,
जुड़े रहने का सलीका हमें बताता है।
गलतफहमियां पैदा हुईं कि बस,
सब जगह बिखराव ही,
नज़र आता दिखने लगता है।
दोस्तों की सोहबत में,
बेइंतहा भरोसा जरूरी है।
थोड़ी सी गलतफहमियां,
इसकी बड़ी कमजोरी है।
हमेशा हमें इस इल्म को,
हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
नज़रों से देखा जाए तो,
इसकी सोहबत रखनी चाहिए।
अगल-बगल में रहना,
दोस्ती की तासीर गर्म और ठंडी हवा से,
दिल के करीब नहीं आता है।
भरोसा भरपूर होने पर ही,
सही फर्ज दोस्ती का,
निभाया जाता है।
शिकायतें दर्ज कर लिया गया है तो फिर क्या हुआ,
भरपूर भरोसा रखते हुए ही,
तमाम हसरतें पूरी की जा सकती है।
तकलीफें झेलने में,
सबसे पहले हमें नजदीकि सम्बन्धों को,
आबाद रखनी होगी,
इस ताकत से ही,
दोस्ती बरकरार रखने की,
मुक्कमल तैयारी की कोशिश,
पूरी की जा सकती है।
— डॉ. अशोक, पटना