गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

दिन दूर जनाब नहीं रहता
जब गाल गुलाब नहीं रहता

दो रोज़ गुमान जवानी का
इक रोज़ शबाब नहीं रहता

ये प्यार अनन्य नहीं होता
जब एक हिसाब नहीं रहता

है बात ख़राब चलाने की
संबंध ख़राब नहीं रहता

जब एक सवाल बने दूरी
फिर पास जवाब नहीं रहता

मैं सोच रहा कि बिना टूटे
क्या बात कि ख़्वाब नहीं रहता

लुट प्रेम-सुधा न गई होती
पी तिक्त शराब नहीं रहता

— केशव शरण

केशव शरण

वाराणसी 9415295137