हे कल्याणी
हे जग-जननी
हे कल्याणी
मैं तेरे गुण गाऊं
तेरे चरणों में
नित-नित
शीश झुकाऊं।
माँ तू है
वरदायिनी
हम बालक नादान
क्षमा करना
भूल हमारी।
ब्रह्मचारिणी से
सिद्धि दात्री
अनेक रूप हैं तेरे,
माँ तू है
दुर्मति-नाशिनी।
कष्टों से हमें बचाती
जब हम पुकारते
तू दौड़ी चली आती
कोटिशः नमन माँ
हर पल उतारूँ
तेरी आरती।
— विकास कुमार शर्मा