संस्कार का बीजारोपण
संस्कार का बीजारोपण, सीख सिखाना इस का कारण।
मां के पेट में शिशु सब सुनता, संस्कार को मन में बुनता।
जैसी सोच कुटुंब की होती, संस्कार है वैसा ही बोती।
बच्चे आचरण बड़ों का देखे, वैसे ही बनते उस के लेखे।
चक्रव्यूह का ताना, बाना, अभिमन्यु ने मां पेट में जाना।
मां बाप जैसा चलन चलते, बच्चे भी वैसा ही पग भरते।
बच्चे होते घर से संस्कारी, जैसे होते मां बाप आज्ञाकारी।
बड़ो की सवा जैसे हम करते, वैसा आचरण बच्चे उकरते।
गुरु शिष्य की परंपरा ऐसी, संस्कार बीजारोपण है जैसी।
बनते हैं उच्च कुल के वासी, दुनिया बनती उन की दासी।
संस्कार अब जाते सब खोते, आज्ञाकारी बच्चे नहीं होते।
नशे ने है परिवार उजाड़ा, सुसंगती ने है समाज बिगाड़ा।
आ हम संस्कार सिखाएं, भविष्य बच्चों का निर्मल बनाएं।
बच्चे हैं कल के निर्माता, भारत के हैं यह भाग्य विधाता।
आप भी बन जाओ संस्कारी, आगे फिर है बच्चों की बारी।
संस्कार जिस घर नहीं होते, माता पिता जीवन भर रोते।
— शिव सन्याल