मशवरा
बैठकर कभी ख्वाहिशों से
करती हूं मशवरा
की आनेवाले कल के लिए
क्या तैयारी करूं
वो कहती हैं…
मुझे पलकों पर सजाए
हकीकत से रूबरू होना
तुम्हे आजमाएंगी मुश्किलें
तुम सब्र का हाथ थाम लेना
दम तोड़ दे अगर हौंसले
फिर से कोई उम्मीद की लौ
जला लेना
मैं हमेशा साथ रहूंगी तुम्हारे
बस तूम अपना साथ हिम्मत से
निभा लेना…!
— सविता दास सवि