कविता – बिहार की संस्कृति
मेहनत धैर्य और संयम से,
सराबोर संसार है।
उन्नति और प्रगति का,
यही दिखता संस्कार है।
कठिन प्रश्न चिन्ह नहीं है,
मेहनत और लगन से काम किया जाता है।
समर्पण से भरपूर होने का,
हमेशा प्रयोग किया जाता है।
नई रीति से भरपूर है,
उम्मीद बनाएं रखने की दस्तूर है।
सफलताएं गुलाम नहीं है,
मेहनत से निकली हुई आवाज से,
उम्मीद बनाकर आगे बढ़ने की ही धुन है।
बुद्ध और महावीर की,
एक खूबसूरत श्रृंगार है।
नवीन चेतना को समर्पित किया जाता है,
इस कारण से,
यहां उन्नति और प्रगति की,
लगातार उमरती प्यार है।
पढ़ाई और शिक्षा जमीन पर,
नज़र आता है।
मेहनत से काम करने का,
ज़िद यही पर अनन्त सागर में गोते लगाने वाले लोगों को,
सबके करीब लाने का,
पाठ पढ़ाया जाता है।
— डॉ. अशोक, पटना