पुस्तक समीक्षाविविध

सामयिक विसंगतियों पर तीखा प्रहार : संतरा गणतंत्र (पुस्तक समीक्षा)

पुस्तक समीक्षा

सामयिक विसंगतियों पर तीखा प्रहार : संतरा गणतंत्र

पुस्तक : संतरा गणतंत्र
विधा : व्यंग्य संग्रह
लेखक : राजशेखर चौबे
पृष्ठ : 144
मूल्य: 200 रुपए
प्रकाशन वर्ष : 2024
संस्करण : प्रथम
प्रकाशक : इंडिया नेटबुक प्राइवेट लिमिटेड, नईदिल्ली
समीक्षक : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

अनुभव रचनाकार को परिपक्व बनाते हैं और अनुभूतियाँ एवं संवेदनाएँ उसके साहित्य को नवीनता से परिपूर्ण करती हैं। इस बात की पुष्टि करता है राजशेखर चौबे जी का नया व्यंग्य संग्रह ‘संतरा गणतंत्र’। यह चौबे जी का चौथा व्यंग्य संग्रह है। इससे पहले वे तीन व्यंग्य संग्रह आजादी का जश्न, स्ट्राइक 2.0 और निठल्लों का औजार – सोशल मीडिया हमारे सामने रख चुके हैं।
राजशेखर चौबे हिंदी व्यंग्य साहित्य के पुरोधा हरिशंकर परसाई जी को अपना आदर्श मानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने परसाई जी के जन्म शताब्दी वर्ष में प्रकाशित अपनी यह पुस्तक हरिशंकर परसाई जो को ही समर्पित की है। इसमें उनका परसाई जी से संबंधित एक व्यंग्य भी शामिल है – सपने में परसाई। इस व्यंग्य में चौबे जी ने परसाई जी के मुँह से क्या खूब कहलवाया है, “स्वर्ग में सब सुविधा है, पर व्यंग्य के विषय नहीं हैं। फिर भी मुझे लगता है कि काश ! आज मैं इंडिया में होता।” आगे परसाई जी कहते हैं, “मैं न पहले डरा, न अभी होता, तो डरता। वैसे डरने वाले को व्यंग्य लिखना ही नहीं चाहिए।”
वैसे हरिशंकर परसाई जी ने भी एक जगह लिखा है, “सच्चा व्यंग्य जीवन की समीक्षा होता है। वह मनुष्य को सोचने के लिए बाध्य करता है। अपने से साक्षात्कार करता है। चेतना में हलचल पैदा करता है। जीवन में व्याप्त मिथ्याचार, पाखण्ड, असामंजस्य और अन्याय से लड़ने के लिए तैयार करता है।” इस कसौटी पर राजशेखर चौबे की रचनाएँ खरी उतरती हैं।
इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड से प्रकाशित कुल 144 पृष्ठों की पुस्तक ‘संतरा गणतंत्र’ में राजशेखर चौबे जी की विभिन्न विषयों पर लिखी हुई 56 व्यंग्य रचनाएँ संगृहीत हैं। प्रथम दृष्टया इसका आवरण पृष्ठ पाठकों को एक बार अंदर के पन्ने पलटने के लिए प्रेरित करता है। इस पुस्तक की भूमिका लिखी है – प्रख्यात व्यंग्य आलोचक रमेश तिवारी जी ने। रही बात चौबे जी की व्यंग्य के धार की, तो वह कहीं भी कमजोर नहीं पड़ी है। पहले व्यंग्य या कहूँ आवरण पृष्ठ से लेकर छप्पनवें व्यंग्य तक ऐसा लगा कि इस स्तर का व्यंग्य एक छप्पन इंची छाती वाले व्यंग्यकार के ही बस की बात है। ‘संतरा गणतंत्र’ में चौबे जी लिखते हैं, “यह जननायक सोशल मीडिया का कीड़ा है। इन्होंने विवाह भी नहीं किया है और सोशल मीडिया ही इनका जीवन-साथी है। जनता को भरमाने में इन्हें महारत हासिल है। ये प्रायः कहते हैं, मेरा क्या है, मैं तो अपना लैपटॉप उठाकर चल दूँगा और भोली-भाली जनता इसे सच मानकर इनकी खुशामद पर उतारू हो जाती है।”  
साहित्य की विभिन्न विधाओं में व्यंग्य साहित्य का अपना अलग ही महत्व है। एक अच्छा व्यंग्यकार अपनी रचनाओं में मानव जीवन की जटिलताओं और उसके संघर्षों की अपने अलग ही अंदाज में अभिव्यक्ति करता है।
‘संतरा गणतंत्र’ पुस्तक का नाम ही नहीं, उसमें संग्रहीत बहुसंख्यक शीर्षक भी एक उत्कृष्ट व्यंग्य का आभास कराते हैं। संवाद शैली में लिखी गई उनकी अनेक रचनाएँ जैसे ठगराज, कोहिनूर की चोरी, दुःस्वप्न, नेता का इस्तीफा, गिरावट का दौर, नेता से कम नहीं छोरियाँ, जाको राखे साइयाँ, तुम्हीं ने दर्द दिया है, तेल की धार, तथास्तु, दो लड़कियों की बातचीत, टी शर्ट और सूट का आमना-सामना, सत्य से मुठभेड़, टमाटर का औसत मूल्य, सपने में परसाई, बैल हमारा बाप है, लोकतंत्र के प्रहरी आदि बहुत ही प्रभावशाली बन गई है। 
चौबे जी सीधे-सादे शब्दों में बहुत ही गंभीर बात कह देते हैं। दो लड़कियों की बातचीत में उन्होंने लिखा है, “मैं गॉड से केवल एक ही बात कहूँगी कि वे भविष्य में लड़कियों का उत्पादन आर्टिफिशल इंटिलिजेंस से करें, जिनके भीतर सब कुछ हो, सिवाय भावनाओं के, ताकि वे इस दर्द को झेल सकें।” 
भाषायी दृष्टि से देखा जाए, तो राजशेखर चौबे जी के व्यंग्य की भाषा अत्यंत सहज, सरल एवं प्रवाहमयी है। इनके व्यंग्य को हर वर्ग का पाठक आसानी से समझ सकता है। उनकी व्यंग्य रचनाओं का एक मजबूत पक्ष यह भी है कि वे अंग्रेजी, उर्दू एवं फारसी भाषा के बोलचाल के शब्दों को भी उपयोग करने में गुरेज नहीं करते। उनके व्यंग्य में कौतुहल, कल्पनाशीलता, मनोविज्ञान एवं मनोरंजन की भरपूर सामग्री विद्यमान हैं। एक उदाहरण देखिए, “आज नेता को राज करना और राजधर्म भले न आए, परन्तु राजनीति अवश्य ही आना चाहिए, तभी वह सफल होगा। एवरीथिंग इज फेयर इन लव, वार एंड पॉलिटिक्स। यही लोकशाही में नेता की सफलता का मूल मंत्र हो गया है।”   
राजशेखर जी इस दौर के एक सजग एवं संवेदनशील व्यंग्यकार हैं। उनका व्यंग्य समाज के यथार्थ से जुड़ा हुआ और मानवीय संवेदना से लबरेज है। विषय का चयन हमारे आसपास से ही किया गया है। उनके व्यंग्य अपने आप में मुकम्मल और उद्देश्यपूर्ण हैं, जो पाठकों को मानवीय संवेदना के विविध रंगों से रूबरू कराते हैं। उन्होंने व्यंग्य के माध्यम से समय के सच विशेषकर सामाजिक एवं राजनीतिक विसंगतियों एवं विद्रूपताओं को अपने ही अंदाज में अभिव्यक्त किया है, जिन्हें पढ़कर प्रबुद्ध पाठक सोचने के लिए मजबूर हो जाता है। उन्हें बड़ी से बड़ी विसंगति को भी बिना आक्रोशित हुए बहुत ही सौम्यता के साथ पाठकों के सामने रखने में महारथ हासिल है।
हमें आशा ही नहीं, वरन पूर्ण विश्वास है कि ‘संतरा गणतंत्र’ को व्यंग्यकार, व्यंग्य साहित्य प्रेमी और इस क्षेत्र के शोधार्थी हाथोंहाथ लेंगे।
_डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़
9827914888

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888