राजनीति

जापानी संगठन निहोन हिंडाक्यों को नोबेल शांति पुरस्कार 2024 क्यों?

वैश्विक स्तरपर बहुत दिनों से पूरी दुनियाँ में मिडिल ईस्ट से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध में हमने कई बार परमाणु बम के उपयोग की संभावना व्यक्त करते हुए प्रिंट इलेक्ट्रानिक व सोशल मीडिया में कई बार सुना है व इनके भयंकर परिणाम के बारे में भी गंभीर चर्चा होती रहती है, हालांकि जापान के हिरोशिमा और नागासकी शहरों पर अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बमों के बारे हम बचपन से ही स्कूली किताबों में पढ़ते आ रहे थे,उनके भयंकर परिणामों के आज की पीड़ियों में भी दिखाई देते हैं, जिनकी नजाकत को समझते हुए जापान में पीड़ितों के एक संगठन  निहोन हिंडाक्यो बनाया है जो परमाणु हथियारों के विनाशकारी नतीजों का पूरी दुनियाँ में आगाज़ कर जनजागरण अभियान चला रहा है इसके मूल्यों कों आखिर सशक्त पहचान मिली क्योंकि नोबेल कमेटी ने इसे संज्ञान में लेकर उनको नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की है, इसलिए अब मेरा मानना है कि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सभी संगठनों संस्थाओं समितियां ने इससे प्रेरणा लेकर अपने संस्थानों संगठनों समितियों को और अधिक मजबूती व निस्वार्थ भाव से कदम बढ़ाने का संकल्प लेना होगा,क्या पता 2025 में फिर इनमें से किसी एक संगठन का नंबर लग जाए। वैसे इस बार 2024 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मेरा आकलन भारतीय पीएम या फिर चीन के किन्हीं व्यक्तियों के समूह को मिलने का अनुमान था। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि हमारी राइस सिटी गोंदिया सहित पूरे देश की समितियां संगठन और संस्थाओं को गंभीरता से निस्वार्थ भाव से बिना राजनीतिक रिटर्न लाभ की भावना से सेवा करना उचित होगा। यहां एक छोटे से समाज में मैंने देखा है कि 50 से अधिक संगठन समितियांसंस्थाएं क्लब मिशन बने हुए हैं, उनमें मात्र उंगलियों पर गिनने वाले संगठन हैं जो निस्वार्थ व बिना राजनीतिक भावना से सेवा करते हैं,बाकी सभी के तार राजनीतिक स्थानीय विधायक सांसद छुटभैया नेताओं से जुड़े हुए हैं, व अपने आप को तुर्रमखानसमझते हैं,उनका काम सेवा नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक चमकाकर अपनी पैठ बढ़नां है,जो 12 अक्टूबर 2024 को दशहरा दहन कार्यक्रम में भी दिखाई दे रहा है। आज हम यह बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 11 अक्टूबर2024 देर शाम एक निस्वार्थ संगठन संस्था को नोबेल शांति पुरस्कार 2024 मिला है, जिससे हमें प्रेरणा लेना जरूरी है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, संगठन सेवा समितियां हो तो ऐसी जापानी संगठन निहोन हिंडाक्यो जैसी,नोबेल शांति पुरस्कार 2024 पाया ऐसी। 

साथियों बात अगर हम नोबेल शांति पुरस्कार 2024 की करें तो, साल 2024 के नोबल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर अमेरिकी परमाणु बम हमलों के पीड़ितों के संगठन निहोन हिडांक्यो को दिया जाएगा। संगठन को परमाणु हथियारों के विरुद्ध उनके काम के लिए दिए जाने का फैसला किया गया है। यह संगठन दुनिया को विनाशकारी हथियारों से मुक्त कराने के प्रयास में लगा हुआ है।बढ़ते तनाव के बीच शांति पुरस्कारनार्वे नोबेल समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वात्ने फ्रिदनेस ने शुक्रवार (11 अक्टूबर) को जापानी संगठन को पुरस्कार देने कीघोषणा करते हुए कहा कि नोबेल समिति उन सभी जीवित बचे लोगों को सम्मानित करना चाहती है, जिन्होंने शारीरिक पीड़ा और दर्दनाक यादों के बावजूद, शांति के लिए आशा और जुड़ाव पैदा करने के लिए अपने अनुभवों का उपयोग करने का विकल्प चुना है। हिदान्क्यों की हिरोशिमा शाखा के अध्यक्ष तोकोयूकी मिमाकी को जब पुरस्कार की खबर मिली तो उनकी आंखें खुशी से भर आईं। उन्होंने जोर से कहा, क्या यह सच है?विश्वास नहीं हो रहा। इस साल नोबेल शांति पुरस्कारों की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब दुनियाँ के अनेक हिस्सों खासकर मध्य पूर्व,यूक्रेनऔर सूडान में भीषण संघर्ष चल रहा है।निहोन हिडांक्यो की स्थापना साल 1956 में हिरोशिमा और नागासाकी में अमेरिकी परमाणु बम हमलों से प्रभावित लोगों ने की थी। इन लोगों को जापानी में हिबाकुशा के नाम से जाना जाता है। इस संगठन का पूरा नाम जापान ए और एच-बम पीड़ित संगठनों का परिसंघहै। जापानी में इसे छोटा करके निहोन हिडांक्यो कर दिया।यह सबसे बड़ा और सबसे इसका मिशन परमाणु हथियारों के विनाशकारी नतीजों के बारे में जागरूकता बढ़ाना रहा है। नोबेल समिति ने कहा है कि निहोन हिदान्क्यो ने हजारों गवाहियां उपलब्ध कराई हैं। प्रस्ताव और सार्वजनिक अपीलें जारी की हैं। साथ ही विश्व को परमाणु निरस्त्रीकरण की आवश्यकता की याद दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न शांति सम्मेलनों में वार्षिक प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं।इसका मिशन परमाणु हथियारों के विनाशकारी नतीजों के बारे में जागरूकता बढ़ाना रहा है। नोबेल समिति ने कहा है कि निहोन हिदान्क्यो ने हजारों गवाहियां उपलब्ध कराई हैं। प्रस्ताव और सार्वजनिक अपीलें जारी की हैं। साथ ही विश्व को परमाणु निरस्त्रीकरण की आवश्यकता की याद दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न शांति सम्मेलनों में वार्षिक प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं।समिति ने प्रशस्ति पत्र में कहा कि इन ऐतिहासिक गवाहों ने व्यक्तिगत कहानियों के आधार पर, अपने अनुभवों के आधार पर शैक्षिक अभियान चलाकर, तथा परमाणु हथियारों के प्रसार और उपयोग के विरुद्ध तत्काल चेतावनी जारी करके, विश्व भर में परमाणु हथियारों के विरुद्ध व्यापक विरोध उत्पन्न करने और उसे सुदृढ़ करने में मदद की है। इसमें कहा गया है कि हिबाकुशा हमें अवर्णनीय का वर्णन करने अकल्पनीय के बारे में सोचने तथा परमाणु हथियारों के कारण होने वाले अकल्पनीय दर्द और पीड़ा को समझने में मदद करता है। इसमें आगे कहा गया कि एक दिन, हिबाकुशा इतिहास के गवाह के रूप में हमारे बीच नहीं रहेंगे।लेकिन स्मरण की एक मजबूत संस्कृति और निरंतर प्रतिबद्धता के साथ, जापान में नई पीढ़ियां इस तबाही के गवाहों के अनुभव और संदेश को बढ़ा रही हैं। वे दुनियाँ भर के लोगों को प्रेरित और शिक्षितकर रहेहैं। इस तरह वेपरमाणु निषेध को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं, जो मानवता के लिए एक शांतिपूर्ण भविष्य की पूर्व शर्त है।नोबेल समिति ने परमाणु हथियारों के खिलाफ वैश्विक विरोध उत्पन्न करने और उसे बनाए रखने के उनके अटूट प्रयासों के लिए निहोन हिडांदक्यो की प्रशंसा की।जापान में परमाणु बम विस्फोटों को लगभग 80 साल बीत जाने के बावजूद भी परमाणु हथियार दुनियाँ के लिए खतरा बने हुए हैं। यह पुरस्कार वैश्विक शांति के लिए बढ़ते खतरों की एक सख्त याद दिलाता है। समिति ने कहा कि परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। जैसे-जैसे नए खतरे सामने आ रहे हैं, उनके इस्तेमाल के खिलाफ मानदंड दबाव में है।

साथियों बात अगर हम अभी वर्तमान में शुरू युद्धों क़े आगाज़ की करें तो,मिडिल ईस्ट से लेकर रूस और यूक्रेन तक जंग ही जंग हो रही है। ऐसे में सबकी नजर इस बात पर थी है कि शांति का नोबेल पुरस्कार इस बार किसे मिलेगा। दरअसल, दुनिया पूरी तरह से परमाणु हथियारों मुक्त हो, इसके लिए यह संस्था पूरी दुनिया में काम करती है।यही वजह है कि इजरायल हिजबुल्लाह जंग और रूस यूक्रेन युद्ध के बीच इस संस्था को नोबेल शांति पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है,यह संगठन हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम विस्फोटों के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करता है।नोबेल समिति की मानें तो इस संस्था को परमाणु मुक्त दुनियाँ की वकालत करने और परमाणु युद्ध की भयावहता पर उसके काम के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने निहोन हिडानक्यो को यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया है।1956 में बना निहोन हिडानक्यो जापान में परमाणु बम हमलों में बचे लोगों का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली संगठन है, इसका मिशन परमाणु हथियारों के विनाशकारी मानवीय परिणामों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना रहा है। 

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया

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