कविता – पेड़ लगाओ, धरती बचाओ
पर्यावरण को लेकर,
यही उन्नत संस्कार है।
जिंदगी बचाने का,
सबसे प्रखर समाचार है।
जन-जन तक यह सन्देश पहुंचे,
यही सात्विक विचार है।
प्रथम आयाम स्थापित करने में,
यही जिंदगी का,
सबसे पवित्र व्यवहार है।
उम्मीद बनाएं रखने में,
पर्यावरण की सुरक्षा जरूरी है।
नवजीवन है तो सबकुछ है,
इसके लिए यही ऊधम,
आज़ की बन गई मजबूरी है।
ग्लोबल वार्मिंग से निकली हुई,
वेदना से हम-सब त्रस्त है।
यही कारण बनेगा एक दिन,
सब खत्म हो जाएगा सबकुछ,
यही जिंदगी को खत्म करने का,
सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र है।
सही सोच को साकार करने में,
पर्यावरण की सुरक्षा को,
सबसे बेहतर विकल्प बनाने में,
हम-सब को आगे बढनी चाहिए।
गांव-गांव में जाकर,
इस परिकल्पना को,
साकार करने की हिम्मत,
बड़ी मुस्तैदी से जुटानी चाहिए।
आगे बढ़ने में इन्सानियत को,
धरती के अनमोल श्रंगार बनी हुई,
पेड़-पौधे की सुरक्षा सबसे बड़ी इबादत है।
हमेशा आगे बढ़ने में,
यही जिंदगी की उत्कृष्ट शरारत है।
जीवन मंत्र है,
सबसे बेहतर विकल्प है।
आगे आने वाली ताकत है,
इस कारण से,
यही प्रयास बनी रहें हमेशा,
हम सबको मिलकर,
करना होगा संकल्प है।
मनमंदिर में सबको अच्छी पहल करनी चाहिए,
धरती बचाने के लिए,
मजबूती से हाथ मिलाने वाले लोगों को,
आगे करनी चाहिए।
एक वृक्ष है दस पुत्र समान,
यही जिंदगी की आगाज़ है।
पर्यावरण को स्वच्छ रखने में,
सब देते हैं अर्पण,
कहते हैं सब लोग इस प्रयास को,
दुनिया दे रही है आवाज।
— डॉ. अशोक, पटना