लघुकथा

सृजन

“शिविका आज मुझे एक कहानी लिखनी है, कोई कथानक सुझा दे!” कार में बाजार जा रही सुमेधा ने शिविका से पूछा.
“मैं कहां सोच सकती हूं? आप तो महान लेखिका हैं, बहुत कुछ सोच-लिख लेंगी.”
“अरे नहीं. लिखना आसान कहां होता है! बड़े पापड बेलने पड़ते हैं! कभी-कभी तो पूरी रात जागकर एक शेर बनता है! तू इतनी बड़ी कम्पनी में इतनी बड़ी पोस्ट पर है, बिना सोचे थोड़े ही न काम कर पाती होगी! कोई आसपास की रोचक घटना ही सोचकर बता दे.”
लड़कियों-महिलाओं के पास किस्सों की कौन कमी होती है, उसने झटपट तीन किस्से चस्पां कर दिए.
“लो जी कर लो बात…, कहां तो तू एक कथानक नहीं सोच पा रही थी, कहां मेरी तीन कहानियों का सृजन कर दिया! बहुत-बहुत शुक्रिया.” सुमेधा रोमांचित थी.

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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