कविता – विश्वास की परत खुली
दुनिया में गोते लगाने वाले,
अक्सर कुछ बातें,
भूल जाते हैं।
नज़रों से देखा जाए तो,
जिंदगी की नींव पर,
विश्वास की परत से ज्ञान दर्पण,
की खोज में लग जाते हैं।
समझदारी से काम नहीं होता है,
अक्सर पूछा जाता है।
इस इल्म को हासिल करने में,
वक्त आने में वक्त लग जाता है।
उम्र की नींव पर ही,
मजबूत इमारत खड़ी हो पाती है।
विश्वास नहीं करते हैं अक्सर सोचते रहते हैं,
यही अदा अन्तिम समय में,
हमें याद आती है।
इस दरम्यान हमें औरों को भी,
समझने की जरूरत है।
आगे बढ़ने में इन्सानियत को,
यही देती है ज़िन्दगी,
सब कहते हैं,
इस अदा की बड़ी अहमियत है।
अपने पराए हो तो भी,
विश्वास रखते हुए तमाम लोगों की जमात,
हमेशा आगे बढ़ने में मदद करता है।
उम्मीद बनाएं रखने में,
हमेशा साथ-साथ दिखता है।
— डॉ. अशोक, पटना