कविता

कविता – विश्वास की परत खुली

दुनिया में गोते लगाने वाले,
अक्सर कुछ बातें,
भूल जाते हैं।
नज़रों से देखा जाए तो,
जिंदगी की नींव पर,
विश्वास की परत से ज्ञान दर्पण,
की खोज में लग जाते हैं।

समझदारी से काम नहीं होता है,
अक्सर पूछा जाता है।
इस इल्म को हासिल करने में,
वक्त आने में वक्त लग जाता है।

उम्र की नींव पर ही,
मजबूत इमारत खड़ी हो पाती है।
विश्वास नहीं करते हैं अक्सर सोचते रहते हैं,
यही अदा अन्तिम समय में,
हमें याद आती है।

इस दरम्यान हमें औरों को भी,
समझने की जरूरत है।
आगे बढ़ने में इन्सानियत को,
यही देती है ज़िन्दगी,
सब कहते हैं,
इस अदा की बड़ी अहमियत है।

अपने पराए हो तो भी,
विश्वास रखते हुए तमाम लोगों की जमात,
हमेशा आगे बढ़ने में मदद करता है।
उम्मीद बनाएं रखने में,
हमेशा साथ-साथ दिखता है।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]