कृष्ण की बाल लीला
झनक-झनक कर बजत कमर धन,
छनक-छनक नटखट पग छन-छन।
छन भर लखत चलत जब नटवर,
थल पर परत हरत गम कण-कण।
कण-कण मगन चरन रज गह कर,
चहकत बहकत महकत जन-जन।
जन-जन कमल नयन दरसन कर,
जनम सफल कर हरसत मन-मन।
— सुरेश मिश्र
झनक-झनक कर बजत कमर धन,
छनक-छनक नटखट पग छन-छन।
छन भर लखत चलत जब नटवर,
थल पर परत हरत गम कण-कण।
कण-कण मगन चरन रज गह कर,
चहकत बहकत महकत जन-जन।
जन-जन कमल नयन दरसन कर,
जनम सफल कर हरसत मन-मन।
— सुरेश मिश्र