कुण्डली/छंद

कृष्ण की बाल लीला

झनक-झनक कर बजत कमर धन,
छनक-छनक नटखट पग छन-छन।

छन भर लखत चलत जब नटवर,
थल पर परत हरत गम कण-कण।

कण-कण मगन चरन रज गह कर,
चहकत बहकत महकत जन-जन।

जन-जन कमल नयन दरसन कर,
जनम सफल कर हरसत मन-मन।

— सुरेश मिश्र

सुरेश मिश्र

हास्य कवि मो. 09869141831, 09619872154