कुण्डली/छंद कृष्ण की बाल लीला सुरेश मिश्र 18/10/202418/10/2024 झनक-झनक कर बजत कमर धन,छनक-छनक नटखट पग छन-छन। छन भर लखत चलत जब नटवर,थल पर परत हरत गम कण-कण। कण-कण मगन चरन रज गह कर,चहकत बहकत महकत जन-जन। जन-जन कमल नयन दरसन कर,जनम सफल कर हरसत मन-मन। — सुरेश मिश्र