ग़ज़ल
सफर में अचानक मिल जाए कोई
साथ चलने को कदम मिलाए कोई
एक ही रहगुज़र की तलाश है मुझे
मंजिल का पता अगर बताए कोई
बढ़ा कर ताल्लुकात मुझसे जरा सा
फिर कुछ शरारत कर जाए कोई
है बिल्कुल वह इस ज़माने से अलग
इतना सा भरोसा गर दिलाए कोई
वह मेरे लिए और मैं उसके लिए
हाल ए दिल इतना तो सुनाए कोई
मेरे हर ग़म को वो अपना ग़म कहे
अपनी बातों से हरदम हँसाए कोई
— सपना चन्द्रा