कविता

तुम आए

सुहाना मौसम
सफ़र में था
चला था कन्याकुमारी से
चार दिन हमारे शहर में था
और चारों दिन मैं
अपने घर में था
कहाँ जाऊँ की समस्या
मुझे घेरे रही
और वह निकल गया
ख़ैर, तुम आए!

— केशव शरण

केशव शरण

वाराणसी 9415295137